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सन्स्कृत (तत्सम: संस्कृत; नामिक: संस्कृतम्, बिशेषरूप: संस्कृत-) दक्खिन एसियाके एगो शास्त्रीयभाषा हे जे हिन्द-यूरोपीयभाषाके हिन्द-आर्य शाखासे सम्बन्धित हे । कांस्य युगके अन्तमे उत्तर-पच्छिम से अपन पूर्बवर्ती भाषाके बिखरेके बाद ई दक्खिन एसियामे उत्पन्न होएल । संस्कृत हिन्दुधरमके पवित्रभाषा हे, शास्त्रीय हिन्दु दर्शनके भाषा हे, आउ बौद्ध आउ जैनधरमके इतिहासिक ग्रन्थके भाषा हे, आउ सिखधरममे एगो भूमिका निभावहे । ई प्राचीन आउ मध्ययुगीन दक्खिन एसियामे एगो सम्पर्कभाषा हल, आउ प्रारम्भिक मध्यजुगीन जुगमे दक्खिन पूरुब एसिया, पूरुबी एसिया आउ मध्य एसियामे हिन्दु आउ बौद्ध संस्कृतिके सञ्चरण पर, ई धरम आउ उच्च संस्कृति आउ ई मे से कुछ क्षेत्रमे राजनीतिक अभिजात बर्गके भाषा बनगेल । नतीजतन संस्कृतके दक्खिन एसिया, दक्खिनपूरुब एसिया आउ पूरुबी एसियाके भाषा पर, बिशेषरूप से उनखर औपचारिक आउ सीखल सब्दावली पर स्थायी प्रभाव पड़ल ।

संस्कृत
संस्कृत: संस्कृत-, संस्कृत: संस्कृतम्
भगवद्गीता स 19म शताब्दीक सचित्र संस्कृत पाण्डुलिपि, [1] composed ल. 400 Template:Wp/mag/Snd200 BCE.[2][3] (bottom) The 175th-anniversary stamp of the third-oldest Sanskrit college, Sanskrit College, Calcutta. 1791.
उच्चारण [ˈsɐ̃skr̩tɐm]
बोलेके  स्थान  भारत
बिलुप्त कौनो मातृभाषी नै, खाली साहित्यिक आउ धार्मिकभाषाके रूपमे प्रयोग कैल जाहे [4][5]
भाषापरिवार
भारोपीय
लिपि ब्राह्मी आउ व्युत्पन्न लिपि
भाषासङ्केत
आइएसओ 639-1 sa
आइएसओ 639-2 san
आइएसओ ६३९-३ san
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संस्कृत समान्यरूप से ढेर पुराना हिन्द-आर्यभाषाके किस्मके दरसावहे । एकरामे से सबसे पुराना वैदिक संस्कृत हे जे ऋग्बेदमे पायेल जाहे, १५०० ईसा पूर्ब आउ १२०० ईसा पूर्बके बीच हिन्द-आर्य जनजातिद्वारा रचित १०२८ भजनके सङ्ग्रह, जे आजके अफगानिस्थान से पुरुदने उत्तरी पाकिस्थान आउ उत्तरी भारतमे पलायन करिथलथिन । बैदिक संस्कृत उपमहाद्दीपके पहिलेसे उपस्थित प्राचीन भाषाके प्रभावित करलक, नया पायेल गेल पौधा आउ जानवरके नामके अबसोसित करलक; सङ्गे, प्राचीन द्राबिड़ीयभाषा संस्कृतके ध्वन्यात्मकता आउ बाक्य रचनाके प्रभावित करलक । संस्कृत आउ सङ्कीर्ण रूपसे शास्त्रीय संस्कृतके सन्दर्भित कर सकहे, एगो परिष्कृत आउ मानकीकृत ब्याकरनिकरूप जे मध्ध-पहिला सहस्राब्दी ईसा पूर्बमे उभरलक आउ प्राचीन ब्याकरनमे सबसे ब्यापक, पाणिनीके अष्टाध्याय ('आठ अध्याय') मे सन्हिताबद्ध करल गेल । संस्कृतके महानतम नाटककार, कालिदास शास्त्रीय संस्कृतमे लिखलथिन, आउ आधुनिक अङ्कगणितके नीँवके वर्णन सबसे पहिले शास्त्रीय संस्कृतमे करल गेलीहल । हालाँकि दु प्रमुख संस्कृत महाकाव्य, महाभारत आउ रामायण, महाकाव्य संस्कृत नामक मौखिक कहानी कहेवाला पञ्जिकाके एगो श्रृङ्खलामे रचल गेलहल, जेकर प्रयोग उत्तरी भारतमे ४०० ईसा पूर्ब आउ ३०० ई के बीच करल गेलहल लगभग शास्त्रीय संस्कृतके साथे समकालीन । आगेके सताब्दीमे संस्कृत परम्परासे बान्धल गेल, पहिला भाषाके रूपमे सीखेला बन्द कर देल गेल, आउ अन्ततः एगो जीवित भाषाके रूपमे बिकसित होवेला बन्द कर देल गेल ।

भारतके सांस्कृतिक बिरासतमे संस्कृतके स्थिति, कार्य आउ स्थानके भारतके संविधानके अठमा अनुसूची भाषामे शामिल करके पहचानल गेलहे । हालाँकि, पुनरुत्थानके प्रयासके बावजूदो भारतमे संस्कृतके प्रथमभाषा बक्ता न हे ।

एकरो देखी

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सन्दर्भ

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  1. Mascaró, Juan (2003). The Bhagavad Gita. Penguin. पप॰ 13&nbsp, ff. आई॰ऍस॰बी॰एन॰ 978-0-14-044918-1. मूलसे 29 March 2024 के पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 October 2020. The Bhagawad Gita, an intensely spiritual work, that forms one of the cornerstones of the Hindu faith, and is also one of the masterpieces of Sanskrit poetry. (from the backcover)
  2. Besant, Annie (trans) (1922). "Discourse 1". The Bhagavad-gita; or, The Lord's Song, with text in Devanagari, and English translation. Madras: G. E. Natesan & Co. मूलसे 12 October 2020 के पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 October 2020. प्रवृत्ते शस्त्रसम्पाते धनुरुद्यम्य पाण्डवः ॥ २० ॥
    Then, beholding the sons of Dhritarâshtra standing arrayed, and flight of missiles about to begin, ... the son of Pându, took up his bow,(20)
    हृषीकेशं तदा वाक्यमिदमाह महीपते । अर्जुन उवाच । ...॥ २१ ॥
    And spake this word to Hrishîkesha, O Lord of Earth: Arjuna said: ...
  3. Radhakrishnan, S. (1948). The Bhagavadgītā: With an introductory essay, Sanskrit text, English translation, and notes. London: George Allen and Unwin Ltd. प॰ 86. ... pravyite Sastrasampate
    dhanur udyamya pandavah (20)
    Then Arjuna, ... looked at the sons of Dhrtarastra drawn up in battle order; and as the flight of missiles (almost) started, he took up his bow.
    hystkesam tada vakyam
    idam aha mahipate ... (21)
    And, O Lord of earth, he spoke this word to Hrsikesha (Krsna): ...
  4. Ruppel, A. M. (2017). The Cambridge Introduction to Sanskrit. Cambridge University Press. प॰ 2. आई॰ऍस॰बी॰एन॰ 978-1-107-08828-3. मूलसे 29 March 2024 के पुरालेखित. अभिगमन तिथि 5 October 2020. The study of any ancient (or dead) language is faced with one main challenge: ancient languages have no native speakers who could provide us with examples of simple everyday speech
  5. Annamalai, E. (2008). "Contexts of multilingualism". प्रकाशित Braj B. Kachru; Yamuna Kachru; S. N. Sridhar (सम्पा॰). Language in South Asia. Cambridge University Press. पप॰ 223–. आई॰ऍस॰बी॰एन॰ 978-1-139-46550-2. मूलसे 29 March 2024 के पुरालेखित. अभिगमन तिथि 5 October 2020. Some of the migrated languages ... such as Sanskrit and English, remained primarily as a second language, even though their native speakers were lost. Some native languages like the language of the Indus valley were lost with their speakers, while some linguistic communities shifted their language to one or other of the migrants' languages.