मगही साहित्य से तात्पर्य ऊ लिखित साहित्यसे हे जे पाली मागधी, प्राकृत मागधी, अपभ्रन्श मागधी अथवा आधुनिक मगही भाषामे लिखल गेलहे । ‘सा मागधी मूलभाषा’ से ई बोध होवहे कि आजीवक तीर्थङ्कर मक्खलि गोसाल, जे महावीर आउ गौतम बुद्धके समय मागधिये मूलभाषा हल जेकर प्रचलन जनसामान्य अपन दैनन्दिन जीवनमे करहलन । मौर्यकालमे ई राज-काजके भाषा बनल काहेकि अशोकके अभिलेख पर उत्कीर्ण भाषा इहे हे । जैन, बौद्ध आउ सिद्धके समस्त प्राचीनग्रन्थ, साहित्य एवं उपदेश मगहियेमे लिपिबद्ध होएल हे । भाषाबिद् मानहथ कि मागधियेसे (मगही)[1] सभ आर्यभाषाके बिकास होएल हे ।
मगहीभाषाके प्राचीनता आउ क्षेत्रबिस्तार
editमगहीशब्दके उत्पत्ति ‘मागधी’ से मानल गेलहे -
- मागधी > मागही > मगही
आदि व्याकरणाचार्य कच्चान मगहीके प्राचीनताके सम्बन्धमे कहलन हे -
- "सा मागधी मूलभाषा, नराया आदि कप्पिका ।
- ब्रह्मणा चस्सुतालापा सम्बुद्धा चापि भासि रे।।"
‘चूलवंश’-ओमे मागधीके सभ भाषाके मूलभाषा कहल गेलहे -
- "सब्बेसां मूल भाषाय मागधाय निरूक्तियां ।"
मौद्गल्यायन, बुद्धघोष आउ नाट्याचार्य भरतमुनियो मगहीके आमजनके लोकप्रियभाषाके रूपमे स्वीकार कैलन हे । सन्स्कृत नाटकमे साधारण जनके भाषाके रूपमे मागधियेके प्रयोग होएल हे ।
पच्छिमी भाषाबिद् आउ भारतीयभाषाके प्रथम सर्वेक्षक जॉर्ज् अब्राहं ग्रियर्सन् (१८५१-१९४१) आधुनिक मगहीके दू रुपके स्वीकार कैलन हे -
- (क) पूरुबी मगही
- (ख) शुद्ध मगही
पूरुबी मगही झारखण्ड राज्जके चतरा, हजारीबागके दक्खिनपूरुब भाग, मानभूम आउ राँचीके दक्खिनपूरुब भाग खरसावाँ आउ दक्खिनदन्ने ओड़िसाके मयुरभञ्ज आउ बामड़ा तक बोलल जाहे । पच्छिमबङ्गालके मालदा मण्डलके पच्छिमीभागो पूरुबी मगहीके क्षेत्र हे ।
शुद्ध मगही अपन क्षेत्रमे बोलल जाहे । ई पच्छिमीक्षेत्रमे पटना, नालन्दा, गया, चतरा, हजारीबाग, मुङ्गेर, भागलपुर आउ बेगूसराय मण्डलेमे न अपितु पूरुबक्षेत्रमे राँचीके दक्खिनभागमे, सिंहभूमके उत्तरीक्षेत्रमे तथा सरायकेला आउ खरसावाँके कुछ क्षेत्रमे मगही बोलल जाहे ।
भाषाबिद् पूरुबी मगही आउ शुद्ध मगहीके साथे मिश्रित मगही के एगो रूपो स्वीकार कैलन हे । एकर अनुसार मिश्रित मगहीके रुप ओन्ने लौकहे जन्ने आदर्श मगही अपन सीमा पर अन्य सहोदरभाषा, जैसे मैथिली आउ भोजपुरीसे मिलके सीमाबर्ती बोलीके रुपमे व्यक्त होवहे ।
आधुनिककालमे मगहीभाषाके अनेक रुप लौकहे । चूँकि मगहीभाषाके क्षेत्रबिस्तार बड्डी व्यापक हे, अतः स्थानभेदके चलते एकर रूपोमे ढेर भेद हो गेलहे । मगहीभाषाके क्षेत्रीयभेदके सङ्केत कृष्णदेव प्रसाद ई प्रकारसे कैलन हे -
- (क) आदर्श-मगही;
- (ख) शुद्ध-मगही;
- (ग) टलहा मगही;
- (घ) सोनतरिया मगही;
- (च) जङ्गली मगही ।[2]
भाषाशास्त्री भोलानाथ तिवारीके मान्यता हे कि मगहीके परिनिष्ठित रूप पुरान गया मण्डलमे बोलल जाहे । ग्रियर्सनो[3] गया मण्डलके मगहीके बिशुद्ध मगही मानलक हे ।
ग्रियर्सनके भाषा-सर्वेक्षणके अनुसार ‘मगही’ भाषीके सङ्ख्या लगभग ६५,०४,८१७ हल । किन्तु २००१ के जनगणनाके अनुसार अखन मगहीभाषी जनके सङ्ख्या लगभग १ करोड़ ३० लाख हे । एकरा प्रयोगमे लेवे आउ शुद्ध मगही बोलेवाला जनसङ्ख्या मुख्यरूपसे बिहारराज्जके पटना, गया, औरङ्गाबाद्, राजगीर, नवादा, नालन्दा, जहानाबाद् आउ अरवलके क्षेत्रमे निवास करहे ।
मगही (मागधी) साहित्यके इतिहास
edit- मगही (मागधी) साहित्यके काल बिभाजन
महापण्डित राहुल साङ्कृत्यायन मगहीभाषाके बिकासात्मक इतिहासके निम्न रूपमे प्रस्तुत कैलन हे -
- 1. पाली -
- 1.1 अशोकके पूर्बके मागधी - ई0 पू0 ६०० से ३०० तक (अनुपलब्ध)
- 1.2 अशोकके मागधी - ई0 पू0 ३०० से २०० तक (सुलभ)
- 1.3 अशोकके पाछेके मागधी - ई0 पू0 २०० से ई0 बरिस २००० तक (दुर्लभ)
- 2.प्राकृत -
- 2.1 प्राकृत मागधी - ० से ५५० ई. तक (सुलभ)
- 3.अपभ्रन्श -
- 3.1. अपभ्रन्श मागधी - ई0 बरिस ५५० से १२०० ई. तक (अनुपलब्ध)
- 4.प्राचीनमगही - ई0 बरिस ८०० से १२०० तक (सुलभ)
- 5.मध्यकालीन मगही - ई0 बरिस १२०० से १६०० तक (अनुपलब्ध)
- 6.आधुनिक मगही - ई0 बरिस १६०० से . . . (जीवित)[4]
राहुलजी के अतिरिक्त भाषा-साहित्यके अन्य ढेर बिद्वान मगहीके काल बिभाजन कैलन हे । कुछ साहित्येतिहासकार त प. रामचन्द्र शुक्लके हिन्दीसाहित्यके काल बिभाजनके अनुसरण करित चारण काल, डा. श्रीकाङ्त शास्त्री काल[5] जैसन मगही साहित्यकालोके परिकल्पना कर लेलन हे । जे न खाली ब्राह्मणवादी आउ मनुवादी साहित्यिक सङ्कल्पना हे बल्कि व्यक्तिगत महिमामण्डन आउ अबैज्ञानिको हे ।[6] तैयो अखनितक होएल बिभाजनके समेकित करित मगही साहित्यके कालके निम्नाङ्कित तौरपर बिभाजित कैल जा सकहे -
- आदि पाली मगही (मागधी) काल
- प्राकृत मगही (मागधी) काल
- अपभ्रन्श मगही (मागधी) काल
- प्राचीनमगही (मागधी) काल
- मध्यकालीन मगही (मागधी) काल
- आधुनिक मगही (मागधी) काल
एकरो देखी
editबाहरी कड़ी
editसन्दर्भ
edit- ↑ A Grammar of the Hindi Language (1872; Revised edition 1893; 1938) – by Rev. S H Kellogg. Reprint: Asian Educational Services, New Delhi/ Madras., 1989; xxxiv+584 pp.
- ↑ मगहीके भाषिक स्वरुप आउ एकर साहित्यिक बिकास http://www.ignca.nic.in/coilnet/mg005.htm
Archived 2015-05-20 at the वेबैक मशीन - ↑ भारतके भाषाके सर्वेक्षण, खण्ड 5 भाग 2, पृ. 123
- ↑ गङ्गा पुरातत्वाङ्क, जनवरी, 1933
- ↑ हरीन्द्र बिद्यार्थी, मगही भाषा का इतिहास एवं इसकी दिशा और दशा (सं. धनंजय श्रोत्रिय), ललित प्रकाशन, दिल्ली, 2012, पृ. 24
- ↑ मगही साहित्य का इतिहास, मगही अकादमी, 1998 : मगही साहित्य का संक्षिप्त इतिहास http://magahi-sahitya.blogspot.in/2006/08/
Archived 2017-07-19 at the वेबैक मशीन