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खोरठा (कैथी: 𑂎𑂷𑂩𑂘𑂰) वा बैकल्पिकरूपसे पूरुबी मगहीके रूपमे बर्गीकृत एगो भाषा हे जेकरा मगहीभाषाके बोली मानल जाहे जे भारतीयराज्ज झारखण्डमे बोलल जाहे, मुख्यतः दू प्रमण्डल (उत्तरी छोटानागपुर आउ सन्थाल परगना) के १६ मण्डलमे । खोरठा सादानद्वारा मूलभाषाके रूपमे बोलल जाहे आउ आदिबासीद्वारा एगो सम्पर्कभाषाके रूपमे प्रयोग कैल जाहे ।[2] ई झारखण्डके सबसे अधिक बोलल जायेवाला भाषा हे ।

खोरठा
खोट्ठा
पुरुबी मगही
𑂎𑂷𑂩𑂘𑂰
बोलेके  स्थान झारखण्ड, बिहार
तिथि / काल २०११ के जनगणना
क्षेत्र उत्तरी छोटानागपुर प्रमण्डल, सन्थाल परगना
समुदाय सादान
मातृभाषी बक्ता लगभग ८० लाख[1]
भाषापरिवार
लिपि देवनागरी, कैथी
राजभाषा मान्यता
नियन्त्रकसन्स्था कौनो सङ्गठन न
भाषासङ्केत
आइएसओ ६३९-३
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भौगोलिक बितरण

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खोरठा झारखण्डके उत्तरी छोटानागपुर आउ सन्थाल परगना प्रमण्डलमे बोलल जाहे । १३ मण्डल हे हजारीबाग, कोडरमा, गिरिडीह, बोकारो, धनबाद, चतरा, रामगढ़, देवघर, दुमका, साहिबगञ्ज, पाकुड़, गोड्डा आउ जामताड़ा

बर्गीकरण

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जॉर्ज् ग्रियर्सन् अपन भाषासर्बेक्षणमे खोरठाके मगहीभाषाके बोलीके रूपमे बर्गीकृत करलथिन ।

साहित्य

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१९५० मे श्रीनिवास पानुरी कालीदासके मेघदूतं के खोरठामे अनुवाद कैलन । १९५६ मे ऊ दू कृति बालकिरण आउ दिव्यज्योति के रचना कैलन । भुवनेश्वर दत्ता शर्मा, श्रीनिवास पानुरी, विश्वनाथ दसौन्धी आउ विश्वनाथ नागर ऊ पहिल लोगमे से हलन जे खोरठामे साहित्यके आरम्भ कैलन । खोरठाभाषाके कुछ प्रमुख लेखक ए के झा, शिवनाथ प्रमाणिक, बी एन ओहदार हथ ।[2]पहिला तुरी झारखण्डके लोग तक खोरठाभाषा आउ साहित्यक अन्तर्जालके माध्यमसे पहुँचावेके प्रयास सरकारी लाइब्रेरीके सन्स्थापक श्री मनञ्जय महतो' द्वारा कैल गेलहल । श्री मनञ्जय महतोके प्रयाससे खोरठा साहित्य पहिला तुरी अन्तर्जाल पर उपलब्ध भेल ।

नमूना वाक्यान्श

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मानक मगही खोरठा
रामुके लाज लग गेलै । रामुके लाज लगि गेले ।
अमितके साहस है/हे । अमितके साहस हे ।
हमरा लाज लगल । हम्मर लाज लगा ।
घोड़ाके खायेके दे । घोड़ाके खाबेके दे ।
बच्चवा अपन बहिनके नै मारको । बच्चाटा अप्पन बहिनके नै मारको ।
कलहे रामके बहिनके बियाह हौ । कलखिन रामके बहिनके बिहा हौ ।
छौड़ा एगो केला खालेलको । छौड़ाटा एकटा केला खालेलको ।
पच्चीस रुपैयाके/टकाके चीनी किनहु । पच्चीस टाकाके चीनी किनिअन।
अजय कलहे अपन मायके चिट्ठी लिखको । अजय कलखिन अप्पन माके चिट्ठी लिक्को।

एकरो देखी

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सन्दर्भ

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  1. "Statement 1: Abstract of speakers' strength of languages and mother tongues - 2011". www.censusindia.gov.in. Office of the Registrar General & Census Commissioner, India. मूलसे 16 जुलाई 2019 के पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2018-12-21.
  2. 2.0 2.1 Atul Aman, Niladri Sekhar Dash, Jayashree Chakraborty (जनवरी २०२०). "DESIGNING A LINGUISTIC PROFILE OF KHORTHA: A LESS RESOURCED LANGUAGE SPOKEN IN THE STATE OF JHARKHAND, INDIA". ResearchGate. अभिगमन तिथि ११ अगस्त २०२२.सीएस१ रखरखाव: एकसे अधिक नाम: authors list (link)