बिष्णु (सन्स्कृत: विष्णु) सनातनधरमके प्रमुख देवतामे से एक हथ जिनखा नारायण आउ हरि के नामोसे जानल जाहे । बिष्णुके जगत् के पालनकर्ता मानल जाहे, जखनियो अधर्म आउ पाप बढ़हे तखनि ऊ अवतार ले हथ । बैष्णववादके भीतरे सर्बोच्च हथ, जे समकालीन हिन्दुधरमके भीतरे प्रमुख परम्परामे से एक हे ।
बिष्णु | |
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त्रिमूर्ति के सदस्स | |
अन्यनाम |
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सम्बन्ध | |
निवासस्थान | |
मन्त्र |
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अस्त्र | |
प्रतीक | |
दिवस | गुरुवार (बिहस्पत) |
भाई-बहिन | पार्वती वा दुर्गा (शैववादके अनुसार आनुष्ठानिक बड़ बहिन) |
सवारी | |
शास्त्र | |
त्यौहार |
हिन्दुधरमके आधारभूत ग्रन्थमे बहुमान्य पुराणानुसार भगवान् बिष्णु परमेश्वरके तीन मुख्यरूपमे से एक रूप हथ । पुराणमे त्रिमूर्ति भगवान् बिष्णुके बिश्व वा जगत् के पालनहार कहल गेलहे । त्रिमूर्तिके अन्य दू रूप ब्रह्मा आउ शिवके मानल जाहे । ब्रह्माजीके जन्ने बिश्वके सृजन करेवाला मानल जाहे, ओहैँ शिवजीके संहारक माना गेलह । मूलतः भगवान् बिष्णु, शिव तथा ब्रह्मो एके हथ ई मान्यतो बहुशः स्वीकृत रहल हे । न्यायके प्रश्रय अन्यायके बिनाश तथा जीव (मानव) के परिस्थितिके अनुसार उचित मार्ग-ग्रहणके निर्देश हेतु बिभिन्न रूपमे अवतार ग्रहण करेवालाके रूपमे भगवान् बिष्णु मान्य रहलन हे । कल्की अवतार १०मा (अन्तिम) अवतार हे ।