Wp/mag/नालन्दा
नालन्दा प्राचीनभारतमे उच्च शिक्षाके सर्बाधिक महत्वपूर्ण आउ बिख्यात केन्द्र हल । महायान बौद्धधरमके ई शिक्षा-केन्द्रमे हीनयान बौद्धधरमके साथहीँ अन्य धरमके आउ अनेक देसके छात्र पढ़ हलथन । बर्तमान बिहार राज्जमे पटनासे ८८.५ किलोमीटर् दक्खिन-पूरुब आउ राजगीरसे ११.५ किलोमीटर् उत्तरमे एगो गाँओ जुगून अलेक्जेण्डर् कनिङ्घम् द्वारा खोजल गेल ई महान बौद्ध बिश्वबिद्यालयके भग्नावशेष एकर प्राचीन बैभवके बड्डी कुछ अन्दाज करा देहे । अनेक पुराभिलेख आउ सतमा सताब्दीमे भारतके इतिहासके पढ़ेला आएल चीनी यात्री ह्वेनसाङ्ग् आउ इत्सिङ्ग् के जतरा बिवरणसे ई बिश्वबिद्यालयके बारेमे बिस्तृत जानकारी प्राप्त होवहे । हिँया १०,००० छात्रोके पढ़ेला २,००० शिक्षक हलथन । प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेनसाङ्ग् ७मा सताब्दीमे हिँया जीवनके महत्त्वपूर्ण एक बरस एगो बिद्यार्थी आउ एगो शिक्षकके रूपमे ब्यतीत करलथ हल । प्रसिद्ध 'बौद्ध सारिपुत्र' के जनम इहेँपर होलहल ।
नालन्दा | |
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नालन्दा महाबिहारके अवशेष | |
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स्थान | नालन्दा मण्डल, बिहार, भारत |
क्षेत्र | मगध |
प्रकार | बिद्यार्जन केन्द्र, प्राचीन बिश्वबिद्यालय |
लम्बाई | 240 मीटर (800 फीट) |
चौड़ाई | 490 मीटर (1,600 फीट) |
क्षेत्रफल | 12 हेक्टेयर (30 एकड़) |
इतिहास | |
निर्माता | कुमारगुप्त प्रथम |
स्थापित | ५मा शताब्दी |
परित्यक्त | १३मा शताब्दी |
सन्स्कृति | बौद्धधरम |
घटना | बख्तियार् खिलजी द्वारा ल. 1200 CE मे नष्ट |
स्थल टिप्पणी | |
उत्खनन तिथि | १९१५–१९३७, १९७४–१९८२ |
पुरातत्ववेत्ता | डेविड् स्पूनर्, हीरानन्द शास्त्री, जे ए पेज्, ऍम् कुरेशी, जी सी चन्द्रा, ऍन् नाजिम्, अमलानन्द घोष [1] |
सार्बजनिक अभिगम | हँ |
जालस्थल | ASI |
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यूनेस्को बिश्व धरोहरस्थल | |
आधिकारिक नाम | नालन्दा, बिहारमे नालन्दा महाबिहारके पुरातत्वस्थल (नालन्दा बिश्वबिद्यालय) |
मानदण्ड | सान्स्कृतिक: iv, vi |
सन्दर्भ | १५०२ |
शिलालेख | २०१६ (Expression error: Unrecognized punctuation character "२". सत्र) |
क्षेत्र | २३ हेक्टर् |
मध्यबर्तीक्षेत्र | ५७.८८ हेक्टर् |
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