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थेरवाद या स्थविरवाद वर्तमान कालमे बौद्धधर्म के दु प्रमुख शाखामे से एक है । दोसरका शाखाके नाम महायान है । थेरवाद बौद्धधर्म भारतसे आरम्भ होके दक्षिण आउ दक्षिण-पूर्व दने बड़ीमनी अन्य एसियाई देशमे फैल गेलै, जैसे कि श्रीलङ्का, बर्मा, कम्बोडिया, वियतनाम, थाईलैण्ड आउ लाओस । ई एक रूढ़िवादी परम्परा है, अर्थात् प्राचीन बौद्धधर्म जैसन हलै, उही मार्ग पर चले पर बल दे है ।

बौद्धधम्म

श्रेणीके भाग

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बौद्ध साहित्य
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· अभिधर्म · बौद्धतन्त्र
समाधि-स्थितिमे एक थाई भिक्षु
बर्माके रङ्गून नगरमे श्वेडागोन पगोडा

थेरवाद, महायान आउ भारतयान बौद्धधर्ममे अन्तर

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'थेरवाद' शब्दके अर्थ है 'श्रेष्ठ जनके बात' । बौद्धधर्मके ई शाखामे पालीभाषा मे लिखल प्राचीन त्रिपिटक धार्मिक ग्रन्थके पालन करे पर बल देल जा है । थेरवाद अनुयायी के कहलाम है कि एकरा से ऊ बौद्ध धर्म के ओकर मूलरूप मे मानऽ हथिन । इनका ला तथागत बुद्ध एक महापुरुष अवश्य हथिन लेकिन कौनो देवता न । ऊ उनका पूजऽ न हथिन आउ न त उनकर धार्मिक समारोह मे बुद्ध-पूजा होवऽ है । जने महायान बौद्ध परम्परा मे देवी-देवता नियन बड़ीमनी दिव्य जीव के मानल जा है ओहैं थेरवाद बौद्ध परम्परा मे ऐसन कौनो हस्ती के पूजल न जाइ । थेरवादी के मानना है कि हर मनुष्य के स्वयमे निर्वाण केममार्ग खोजेला होवऽ है । ई सब समुदाय मे युवक के भिक्षुक बने के बड़ी शुभ मानल जा है आउ एहाँ ई रिवायतो है कि युवक कुछ दिन ला भिक्षु बनके फिर गृहस्थ मे लौट जा है ।[1] पहले जमाना मे 'थेरवाद' के 'हीनयान शाखा' कहल जा हलो, लेकिन अब बड़ी विद्वान कहऽ हथिन कि ई दुनो अलग है‌ ।

महायान बौद्ध धर्म के अनुयायी कहऽ हथिन कि अधिकतर मनुष्य ला निर्वाण-मार्ग अकेले खोजल मुश्किल या असम्भव है आउ उनका ई कार्य मे सहायता भेटे के चाही । ऊ समझऽ हथिन कि ब्रह्माण्ड के सब प्राणी एक-दोसरा से जुड़ल है आउ सबसे प्रेम करे ला आउ सब के निर्वाण ला प्रयत्न करे ला जरूरी है । कौनो प्राणी ला दुष्भावना न रखे के चाही काहेकि सब जन्म-मृत्यु के जंजाल मे फंसल है । एक हत्यारा या एक तुच्छ जीव अपनहीं कोई फिर से जन्मल पूर्वजो हो सकऽ है एही से उनको सहायता करे के चाही । प्रेरणा आउ सहायता ला बोधिसत्व के मानल जा है जे ऊ प्राणी हथिन जे निर्वाण पा चुकलथिन हे । महायान शाखा मे ऐसन हजारों बोधिसत्त्व के पूजल जा है आउ उनकर ई सम्प्रदाय मे देवता नियन दर्जा है । ई सब बोधिसत्त्व मे कुछ बड़ी प्रसिद्ध हथिन, उदाहरण ला अवलोकितेश्वर (अर्थ: 'दृष्टि नीचे जगत पर डालने वाला प्रभु'), अमिताभ (अर्थ: 'अनन्त प्रकाश', 'अमित आभा'), मैत्रेय, मंजुश्री आउ क्षितिगर्भ ।[1] महायान शाखा उत्तर एशियाई क्षेत्र मे प्रचलित है, जैसे कि चीन, जापान, कोरिया, ताइवान, तिब्बत, भूटान, मंगोलिया आउ सिंगापुर । महायान सम्प्रदाय के आगे आउ उपशाखा है, मसलन जेन/चान, पवित्र भूमि, तियानताई, निचिरेन, शिन्गोन, तेन्दाई आउ तिब्बती बौद्धधर्म ।[2]

अनुयायी

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विश्वके विभिन्न देशके लोग थेरवादके अनुयायी है, जेकरामे प्रमुख ई सब है -

एकरो देखथिन

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सन्दर्भ

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  1. 1.0 1.1 Inside Buddhism (eBook)
    Archived 2014-01-03 at the वेबैक मशीन, Kathy Zaun, Lorenz Educational Press, ISBN 978-0-7877-8193-4, Pages 26-27
  2. Establishing a pure land on earth: the Foguang Buddhist perspective on modernization and globalization, Stuart Chandler, University of Hawaii Press, 2004, ISBN 978-0-8248-2746-5, ... The Hinayana school is identified with the Theravada tradition, which is practiced in Thailand, Sti Lanka, Myanmar, etc. The Mahayana school, by contrast, is seen as having taken root in China, Japan, Korea, and Tibet ...