सरस्वती एगो पौराणिक नदी जेकर चर्चा वेदोमे हे । एकरा प्लाक्ष्वती,वेद्समृति, वेदवतियो कहहथ । ऋग्वेदमे सरस्वतीके अन्नवती तथा उदकवतीके रूपमे बर्णन आएल हे । ई नदी सर्वदा जलसे भरल रहहल आउ एकर किनारे अन्नके प्रचुर उत्पत्ति होलहल । कहल जाहे, ई नदी हिमाचलमे सिरमौरराज्य[1] के पर्बतीयभागसे निकलके अम्बाला आउ कुरुक्षेत्र, कैथल होवित पटियाला राज्जमे प्रविष्ट होके सिरसा मण्डलके दृशद्वती (काङ्गार) नदीमे मिल गेलहल । प्राचीनकालमे ई सम्मिलित नदी राजपुतानाके अनेक स्थलके जलसिक्त कर देलक हल । इहो कहल जाहे कि प्रयाग भिरु तक आके ई गङ्गा आउ जमुनामे मिलके त्रिवेणी बन गेलहल । कालान्तरमे ई ईसभ स्थानसे तिरोहित हो गेल, तैयो लोगके धारणा हे कि प्रयागमे ऊ अखनियो अन्त:सलिला होके बहहे । मनुसंहितासे स्पष्ट हे कि सरस्वती आउ दृषद्वतीके बीचके भूभागे ब्रह्मावर्त कहलाहल ।
सरस्वतीनदी (नदीतमा) | |
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महाभारत कालीन सरस्वती नदी । (हरियर रङ्गसे प्रदर्शित)
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उद्गमस्थल: हिन्दु देवी सरस्वती | |
देस |
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राज्य |
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उद्गम |
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- स्थान |
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मुख |
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मुख्य सहायक नदी | |
- वामाङ्गी |
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इसरो द्वारा प्रेषित मानचित्रमे सरस्वतीनदी
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एकरो देखी
editसन्दर्भ
edit- ↑ "सिरमौर जिला", विकिपीडिया (Hindi मे), 2021-02-12, अभिगमन तिथि 2022-03-30