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बर्तमान समयमे सामान्यतः बौद्ध मठके विहार कहल जाहे जेकरामे भिक्षु निवास करहथ । विहारमे बुद्ध प्रतिमा होवहे । विहारमे बौद्ध भिक्षु निवास करहथ । संस्कृत आउ पालिमे आमोद-प्रमोदला बिकसित कौनो स्थानके विहार कहल जाहे ।[1][2] बादमे बौद्ध भिक्षुके निवासला निर्मित कक्षके विहार कहल जाये लगल । ईसभ कक्षके साथे प्रायः एगो बड़ खुलल सभास्थल होव करहल । 'विहार' शब्द हिन्दु, आजीविक आउ जैन संन्यासीके साहित्योमे भेटहे जेकरा अर्थ ऊसभ अस्थायी संरचनासे हे जेकर प्रयोग ऊ वर्षाकालमे ठहरेला करल करहलथिन ।[3][4][5] । बर्तमान कालोमे जैन साधु एगो स्थानसे दोसर स्थान पर पैदल भ्रमण करैत रहहथिन जेकरा 'विहार' कहल जाहे । उनखा विहार वर्षा ऋतुके चार माह (चातुर्मास्य)मे बन्द रहहे ।

चौथा शताब्दीके अजन्ताके गुफा क्रमाङ्क-४, जेकरामे मध्यके एगो कक्षमे बुद्ध प्रतिमा स्थापित हे ।

उच्चशिक्षामे धार्मिक विषयके अतिरिक्त अन्य विषयो प्रयुक्त हल, आउ एकर केन्द्र बौद्ध विहारे हल । इसभमे से सबसे प्रसिद्ध, बिहारके नालन्दा महाविहार हल । अन्य शिक्षाके प्रमुख केन्द्र विक्रमशिला आउ उद्दण्डपुर हल । इहो बिहारेमे हल । ईसभ केन्द्रमे दूर-दूरसे हियाँ तकके तिब्बतोसे विद्यार्थी आव करहलथिन । हियाँ शिक्षा निःशुल्क प्रदान कैल जाहल । ईसभ विश्वविद्यालयके खर्चा शासकों द्वारा देल गेल मुद्रा आउ भूमिके दानसे चलहल । नालन्दाके दू सौ ग्रामके अनुदान प्राप्त हल ।

बिहार शब्द 'विहार' के अपभ्रंस रूप हे ।

इहो देखी

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सन्दर्भ

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  1. Vihara
    Archived 2019-10-28 at the वेबैक मशीन, Monier Monier Williams, Sanskrit-English Dictionary Etymologically Arranged, Oxford University Press, p. 1003
  2. "He now undertook what were described as 'dharma yatras' instead of the usual royal 'vihara yatras'. Vihara yatras were marked by pleasures such as the hunt" in Nayanjot Lahiri (2015). Ashoka in Ancient India
    Archived 2020-05-27 at the वेबैक मशीन. Harvard University Press. pp. 181–183. ISBN 978-0-674-91525-1.
  3. Vihara
    Archived 2019-10-28 at the वेबैक मशीन, Monier Monier Williams, Sanskrit-English Dictionary Etymologically Arranged, Oxford University Press, p. 1003
  4. Stella Kramrisch (1946). The Hindu Temple
    Archived 2020-04-12 at the वेबैक मशीन. Princeton University Press (Reprint: Motilal Banarsidass). pp. 137–138. ISBN 978-81-208-0223-0.
  5. Paul Dundas (2003). The Jains
    Archived 2017-01-22 at the वेबैक मशीन. Routledge. pp. 203–204. ISBN 1-134-50165-X.