भारतीय संस्कृति बहुआयामी हे जेकरामे भारतके महान् इतिहास, विलक्षण भूगोल आउ सिन्धुघाटीके सभ्यता खन्नि बनल आउ आगे चलके वैदिक युगमे विकसित भेल, बौद्धधर्म आउ स्वर्णयुगके आरम्भ आउ ओकर अस्तगमनके साथे फलल-फूलल अपन प्राचीन विरासत शामिल हे । एकरे साथे पड़ोसी देसके रिवाज, परम्परा आउ विचारोके एकरामे समावेश हे । पिछला पाँच सहस्राब्दीसे अधिक समयसे भारतके रीति-रिवाज, भाषा, प्रथा आउ परम्परा एकर एक-दोसरासे परस्पर सम्बन्धमे महान् विविधताके एगो अद्वितीय उदाहरण दे हे । भारत ढेर धार्मिक प्रणाली, जैसेकि सनातनधर्म, जैनधर्म, बौद्धधर्म आउ सिखधर्मके जननी हे ।
भारतीय सभ्यतामे संस्कृतिके बारेमे
editभारतीय संस्कृति विश्वके इतिहासमे ढेर दृष्टिसे विशेष महत्त्व रखऽहै ।
- ई संसारके प्राचीनतम संस्कृति सब मेसे एक है । भारतीय संस्कृति कर्म प्रधान संस्कृति है । मोहनजोदड़ोके खुदाईके बादसे ई मिस्र, मेसोपोटेमियाके सबसे पुरान सभ्यताके समकालीन बुझल जाए लगलै हे ।
- प्राचीनताके साथे एकर दोसर विशेषता अमरता है । चीनी संस्कृतिके अतिरिक्त पुरान दुनियाके अन्य सब - मेसोपोटेमियाके सुमेरियन, असीरियन, बेबीलोनियन आउ खाल्दी प्रभृति एवं मिस्र, इरान, यूनान आउ रोम के-संस्कृति कालके कराल गालमे समा गेलै हे, कुछ ध्वंसावशेषे उनकर गौरव-गाथा गावेला बचल है; किन्तु भारतीय संस्कृति कय हजार वर्ष तक कालके क्रूर थपेड़के खाइत आझो तक जीवित है ।
- ओकर तीसरा विशेषता ओकर जगद्गुरु होएल है । ओकरा ई बातके श्रेय प्राप्त है कि ऊ न केवल महाद्वीप-सरीखे भारतवर्षके सभ्यताके पाठ पढ़ौलकै, अपितु भारतके बाहिरे बड़ भागके जङ्गली जाति सब को सभ्य बनौलकै, साइबेरियासे सिंहल (श्रीलङ्का) तक आउ मेडागास्कर टापू, इरान एवं अफगानिस्थानसे प्रशान्त महासागरके बोर्नियो, बालीके द्वीप तकके विशाल भू-खण्ड पर अपन अमिट प्रभाव छोड़कै ।
- सर्वांगीणता, विशालता, उदारता, प्रेम आउ सहिष्णुता के दृष्टिसे अन्य संस्कृति सबके अपेक्षा अग्रणी स्थान रखऽहै ।
भाषा
editभारतमे बोलल जाएवाला भाषा सबके बड़ संख्या एहाँके संस्कृति आउ पारम्परिक विविधताके बढ़ौलकै हे । १००० (यदि अपने प्रादेशिक बोली आउ प्रादेशिक शब्द सबके गिनथिन त, जबकि यदि अपने ओकरा न गिनऽहथिन त ई संख्या घटके २१६ रह जा है) भाषा ऐसन है जेकरा १०,०००से जादे लोगके समूह द्वारा बोलल जा है, जबकि ढेर ऐसनो भाषा है जेकरा १०,०००से कमे लोग बोलऽहथिन । भारतमे कुल मिलाके ४१५ भाषा प्रयोगमे है ।
भारतीय संविधान सङ्घ सरकारके सञ्चारला हिन्दी आउ अङ्ग्रेजी, ई दु भाषाके प्रयोगके आधिकारिक भाषा घोषित कैलकै हे । व्यक्तिगत राज्य के उनकर अपन आन्तरिक सञ्चारला उनकर अपन राज्यभाषाके प्रयोग कैल जा है ।
भारतमे दु प्रमुख भाषा सम्बन्धी परिवार है - भारतीय-आर्यभाषा आउ द्रविणभाषा, एकरामे से पहिला भाषाके परिवार मुख्यतः भारतके उत्तरी, पश्चिमी, मध्य आउ पूर्वी क्षेत्रमे फैलल है जबकि दोसर भाषा परिवार भारतके दक्षिणी भागमे । भारतके अगला सबसे बड़ भाषा परिवार है एस्ट्रो-एशियाई भाषा समूह, जेकरामे शामिल है भारतके मध्य आउ पूर्वमे बोलल जाएवाला मुण्डा भाषा, उत्तरपूर्वमे बोलल जाएवाला खासीभाषा आउ निकोबार द्वीपमे बोलल जाएवाला निकोबारी भाषा ।भारतके चौथा सबसे बड़ भाषा परिवार है तिब्बती-बर्मन भाषा परिवारके परिवार जे अपने आपमे चीनी- तिब्बती भाषा परिवारके एक उपसमूह है ।
धर्म
editधर्म | जनसंख्या | प्रतिशत |
---|---|---|
सब धर्म | 1,028,610,328 | 100.00% |
हिन्दु | 827,578,868 | 80.456% |
मुसलमान | १३८,१८८,२४० | १३.४३४% |
ईसाई | २४,०८०,०१६ | २.३४१% |
सिख | १९,२१५,७३० | १.८६८% |
बौद्ध | ७,९५५,२०७ | ०.७७३% |
जैन | ४,२२५,०५३ | ०.४११% |
अन्य | ६,६३९,६२६ | ०.६४५४% |
धर्म न बतौलक | ७२७,५८८ | ०.०७% |
इब्राहीमीके बाद भारतीय धर्म विश्वके धर्ममे प्रमुख है, जेकरामे हिन्दुधर्म, बौद्धधर्म, सिखधर्म, जैनधर्म, आदि नियन धर्म शामिल है । आज हिन्दुधर्म आउ बौद्धधर्म क्रमशः दुनियामे तीसरा आउ चौथा सबसे बड़ धर्म है, जेकरामे लगभग १.४ अरब अनुयायी साथे हथिन ।
विश्वभरमे भारतमे धर्ममे विभिन्नता सबसे जादे है, जेकरामे कुछ सबसे कट्टर धार्मिक संस्था आउ संस्कृति शामिल है । आझो धर्म एहाँके जादे-से-जादे लोगके बीच मुख्य आउ निश्चित भूमिका निभावऽहै ।
८०.४%से जादे लोगके धर्म हिन्दुधर्म है । कुल भारतीय जनसंख्याके १३.४% भाग इस्लाम धर्मके मानऽहै ।[1] सिखधर्म, जैनधर्म आउ बिशेषकरके बौद्धधर्मके केवल भारतेमे न बल्कि पुरा विश्वभरमे प्रभाव है । ईसाई धर्म, पारसी धर्म, यहूदी आउ बहाइयो धर्म प्रभावशाली है, किन्तु उनकर संख्या कम है । भारतीय जीवनमे धर्मके मजबूत भूमिकाके बावजूदो नास्तिकता आउ अज्ञेयवादियोके प्रभाव लौकऽहै ।
समाज
editसमीक्षा
editयूजीन एम. मकरके अनुसार, भारतीय पारंपरिक संस्कृति अपेक्षाकृत कठोर सामाजिक पदानुक्रम द्वारा परिभाषित कैल गेलै हे । ऊ एहु कहलन कि लैकन सबके छोटे उमरमे उनकर भूमिका आउ समाजमे उनकर स्थानके बारेमे बतावित रहल जा है ।[2] उनका ई बातसे आउ बल मिलऽहै कि आउ एकर मने ई है कि बड़ी मनी लोग ई बातके मानऽहथिन कि उनकर जीवनके निर्धारण करेमे देवता आउ आत्मेके पूरा भूमिका होवऽहै ।[2] धर्म विभाजित संस्कृति नियन ढेर मतभेद, [2] जबकि, एकरासे ढेर जादे शक्तिशाली विभाजन है हिन्दु परम्परामे मान्य अप्रदूषित आउ प्रदूषित व्यवसायके ।[2] सख्त सामाजिक अमान्य लोग ई सब हजारो लोगके समूहके नियन्त्रित करऽहथिन[2] हालके वर्ष, बिशेषकर शहर मे, एकरा मेसे कुछ श्रेणी धुन्धरा गेलै हे आउ कुछ घायबो हो गेलै हे ।[2] महत्वपूर्ण पारिवारिक सम्बन्ध उतना दूर तक होवऽहै जन्ने तक समान गोत्रके सदस्य हथिन, गोत्र हिन्दु धर्मके अनुसार पैतृक यानि पिता दन्नेसे मिलल कुटुम्ब या पन्थके अनुसार निर्धारित होवऽहै जे कि जन्मके साथहीं तय हो जा है ।[2] ग्रामीण क्षेत्रमे परिवारके तीन या चार पीढ़ीके एके छतके नीचे रहल आम बात है ।[2]वंश या धर्म प्रधान प्रायः परिवारके मुद्दाके हल कर है ।[2] आर्यावर्त अथवा भारतवर्ष नामक राष्ट्रके सांस्कृतिक व्याख्या कैल होवे त ऐसे कर सकते हथिन - " जौन राष्ट्रके दर्शन कहऽहे मानहानिपूर्ण जीवनसे अपन तेजस्विता आउ मान मर्यादाके साथे मर जाएल बेस है, ऊ राष्ट्र भारतवर्ष है ।" भारतीय संस्कृति भारतके कवि भारविके किरातार्जुनीयम् नामक राष्ट्रीय काव्यमे उजागर होवऽहै -
ज्वलितं न हिरण्यरेतसं चयं आस्कन्दति भस्मनां जनः ।
अभिभूतिभयादसूनतः सुखं उज्झन्ति न धाम मानिनः ।।[3]
अर्थात् मनुष्य राखके ढेरके त अपन गोड़ आदिसे कुचल दे है किन्तु जरैत आगके न कुचलै । एहीसे मनस्वी लोग अपन प्राणके त सुखके साथे छोड़ दे हथिन किन्तु अपन तेजस्विता अथवा मान-मर्यादाके न छोड़थिन ।
जाति व्यवस्था
editभारतीय पारंपरिक संस्कृति अपेक्षाकृत कठोर सामाजिक पदानुक्रम द्वारा परिभाषित कैल गेलै हे[2]भारतीय जाति प्रथा भारतीय उपमहाद्वीपमे सामाजिक वर्गीकरण आउ सामाजिक प्रतिबन्धके वर्णन करऽहै, ई प्रथामे समाजके विभिन्न वर्ग हजारो सजातीय विवाह आउ आनुवाशिकीय समूहके रूपमे पारिभाषित कैल जा है जेकरा प्रायः 'जाति'के नामसे जानल जा है । ई सब जातिके बीच विजातीय समूहो मौजूद है, ई सब समूहके गोत्रके रूपमे जानल जा है । गोत्र कौनो व्यक्तिके अपन कुटुम्ब द्वारा भेंटल एक वंशावलीके चिन्हानी है, यद्यपि कुछ उपजाति सब जैसे कि शकाद्विपी ऐसनो है जेकर बीच एके गोत्रमे विवाह स्वीकार्य है, ई सब उपजातिमे प्रतिबन्धित सजातीय विवाह जानी एक जातिके बीच विवाहके प्रतिबन्द्धित करेला कुछ अन्य तरीकाके अपनावल जा है (उदाहरणला - एके उपनाम वाला वंशके बीच विवाह पर प्रतिबन्ध लगावल)
भलहीं जाति व्यवस्थाके मुख्यतः हिन्दुधर्मके साथे जोड़के जालन जा है लेकिन भारतीय उपमहाद्वीपमे अन्य ढेर धर्म जैसे कि मुसलमान आउ ईसाई धर्मके कुछ समूहोमे ई प्रकारके व्यवस्था देखल गेलै हे[4] भारतीय संविधान समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता, लोकतन्त्र नियन सिद्धान्तके ध्यानमे रखैत जातिके ऊपरे आधारित भेदभावके गैरकानूनी घोषित कर देलकै हे[5] बड़ शहरमे जादेतर ई सब जाति बन्धनके तोड़ देल गेलै हे,[6] हालाँकि ई आझो देशके ग्रामीण क्षेत्रमे विद्यमान है, तैयो आधुनिक भारतमे जाति व्यवस्था, जातिके आधार पर बाँटेवाला राजनीति आउ अलग - अलग तरीकाके सामाजिक धारणा जैसे कय रूपमे जीवितो है आउ प्रबलो होइत जाइत है[7][8]
सामान्य शब्दमे जातिके आधार पर पाँच प्रमुख विभाजन है:[2]
- ब्राह्मण - "विद्वान समुदाय," जेकरामे याजक, विद्वान, विधि विशेषज्ञ, मन्त्री आउ राजनयिक शामिल है ।
- क्षत्रिय - "उच्च आउ निम्न मान्यवर या सरदार" जेकरामे राजा, उच्चपदके लोग, सैनिक आउ प्रशासक शामिल है ।
- वैश्य - "व्यापारी आउ कारीगर समुदाय" जेकरामे सौदागर, दुकानदार, व्यापारी आउ खेतके मालिक शामिल है ।
- शूद्र - "सेवक या सेवा प्रदान करेवाला प्रजाति"मे अधिकतर गैर-प्रदूषित कार्योमे लगल शारीरिक आउ कृषक श्रमिक शामिल है ।
एकरो नीचे एक दलित समाज है जेकरा हिन्दु शास्त्र आउ हिन्दु कानूनके अनुसार अछूत (दलित)के रूपमे जानल जा है, हालाँकि ई प्रणालीके भारतीय संविधानके कानूनके जरिए अब गैरकानूनी घोषित कर देल गेलै हे ।
ब्राह्मण वर्ण स्वयंके हिंदुधर्मके चारो वर्णमे सर्वोच्च स्थान पर काबिज होवेके दावा करऽहै[9] दलित शब्द ऊ सब लोगके समूहला एक पदनाम है जिनका हिन्दुधर्म एवं सवर्ण हिन्दु द्वारा अछूत या नीची जातिके मानल जा है । स्वतन्त्र भारतमे जातिवादसे प्रेरित हिंसा आउ घृणा अपराधके बड़ी जादे देखल गेलै । भारतमे धर्मके नाम पर लोगके बाँटेके काम कैल संस्कृतिके विलुप्त होवेके संकेत है, हालाँकि प्राचीन संस्कृतिके अनुसार जातिवाद एत्ता कठोर न हलै लेकिन वर्तमान समयमे जातिवादके एत्ता दुष्प्रभाव होवेवाला है जेकरासे भारतके विकासमे बाधक सिद्ध हो सकऽहै ।
परिवार
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भारतीय समाज सदियोसे तयशुदा बियाहके परम्परा रहलै हे । आझो भारतीय लोगके एक बड़ भाग अपन माता-पिता या अन्य सम्माननीय पारिवारिक सदस्य द्वारा तय कैल गेल बियाहे करऽहै, जेकरामे दूल्हा-दुल्हिनके सहमतियो होवऽहै ।[10] तयशुदा शादिय ढेर चीजके मेल करावेके आधार पर ओकरे ध्यानमे रखके निर्धारित कैल जा है जैसे कि उमर, ऊँचाई, व्यक्तिगत मूल्य आउ पसन्द, साथे उनकर परिवारके पृष्ठभूमि (धन, समाजमे स्थान) आउ उनकर जातिके साथ - साथ युगलके जन्मकुण्डली अनुकूलता ।
भारतमे बियाहके जीवन भरला मानल जाहै[11] आउ एहाँ तलाकके दर संयुक्तराष्ट्र अमेरिकाके ५०%के तुलनामे मात्र १.१% है ।[12] तयशुदा बियाहमे तलाकके दर आउओ कम होवऽहै । हालके वर्षमे तलाक दरमे ढेर वृद्धि होवैत है:
- ई बात पर अलग अलग राय है कि एकर मने का है: पारम्परिक लोग सबला ई बढ़ैत संख्या समाजके विघटनके प्रदर्शित करऽहै, जबकि आधुनिक लोगके अनुसार एकरासे ई बात पता चलऽहै कि समाजमे महिलाके एक नया आउ स्वस्थ सशक्तिकरण होवैत है ।[13]
हालाँकि, बाल विवाहके १८६०मे ही गैरकानूनी घोषित कर देल गेलै हल किन्तु भारतके कुछ भागमे ई प्रथा आझो जारी है ।[14] यूनिसेफ द्वारा संसारके बच्च सबके दशाके बारेमे जारी रिपोर्ट " स्टेट ऑफ द वर्ल्ड चिल्ड्रेन -२००९"मे ४७% ग्रामीण क्षेत्रमे भारतीय महिला जे कि २०-२४ सालके होथिन उनकर बियाहला वैध १८ सालके उमरसे पहिलहीं कर देल जा है ।[15] रिपोर्ट एहु देखावऽहै कि विश्वमे ४०% होवेवाला बाल विवाह अकेले भारतेमे होव है[16]
भारतीय नाम भिन्न प्रकारके प्रणाली आउ नामकरण प्रथा पर होवऽहै, जे कि अलगे -अलगे क्षेत्रके अनुसार बदलैत रहऽहै नामो धर्म आउ जातिसे प्रभावित होवऽहै आउ ऊ धर्म या महाकाव्यसे लेल जा सकऽहै । भारतके जनसंख्या अनेक प्रकारके भाषा बोलऽहै ।
समाजमे नारीके भूमिका अक्सर घरके काम काजके करेके आउ समुदाय सबके निःस्वार्थ सेवा करेके काम होवऽहै[2] महिला आउ महिलाके मुद्दा समाचारमे केवल ७-१४% ए लौकऽहै[2] अधिकांश भारतीय परिवारोंमे महिलाके उनकर नाम पर सम्पत्ति न भेटै आउ उनका पैतृक सम्पत्तिके एको भाग न भेटऽहै ।[17] अब कानून बन गेलै हे परिवारके लड़कीके बराबर भाग भेटऽहै । कानूनके लागू करेमे कमजोरीके कारण, महिला आझो जमीनके छोट टुकड़ा आउ बड़ी कम धनमे प्राप्त होवऽहै ।[18] ढेर परिवार सबमे विशेष रूपसे ग्रामीण लोगमे लैकी आउ महिलाके परिवारके भीतरे पोषण भेदभावके सामना करे पड़ऽहै आउ एही चलते उनकामे खूनके कमीके शिकायत रहऽहै, साथ- साथ ऊ कुपोषितो होवऽहथिन ।[17]
पशु
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ढेर भारतीय भिजुन अपन मवेशी होवऽहै जैसे कि गाय-बैल या भेड़ । आझो हिन्दु बहुसंख्यक देश जैसे भारत आउ नेपालमे गायके दूधके धार्मिक रस्ममे महत्वपूर्ण स्थान है । समाजमे अपन एही ऊँच स्थानके चलते गाय भारतके बड़ बड़ शहर जैसे कि दिल्लियोमे व्यस्त सड़क पर खुले आम घूमऽहै । कुछ जगह पर भोरेके नश्ताके पहिले एकरा एक भोग लगावल शुभ या सौभाग्यवर्धक मानल जा है । जौन जगह पर गोहत्या एक अपराध है ओहाँ कौनो नागरिकके गायके मारे या ओकरा चोट पहुँचावेला जेलो हो सकऽहै ।
गायके खाएके विरुद्ध आदेशमे एक प्रणाली विकसित होलै जेकरामे खाली एक जातिच्युत मनुष्यके मृत गायके भोजनके रूपमे देल जा हलै आउ खाली ओही उनकर चमड़ाके निकाल सकऽहलथिन । खाली दुए राज्य - पश्चिम बंगाल आउ केरलके अतिरिक्त प्रत्येक प्रदेशमे गोहत्या निषिद्ध है । हालाँकि गायके वधके उद्देश्यसे ओकरा ई सब राज्यमे ले जाएल अवैध है, किन्तु गायके नियमित रूपसे जहाजमे सवार करके ई सब राज्यमे ले जाएल जा है ।[19]
परम्परा एवं रीति
editनमस्ते या नमस्कार या नमस्कारम् भारतीय उपमहाद्वीपमे अभिनन्दन या अभिवादन करेके सामान्य तरीका है । यद्यपि नमस्कारके नमस्तेके तुलनामे जादे औपचारिक मानल जा है, दुनहीं गहरा सम्मानके सूचक शब्द है । आमतौर पर एकरा भारत आउ नेपालमे हिन्दु, जैन आउ बौद्ध लोग प्रयोग करऽहथिन, ढेर लोग एकरा भारतीय उपमहाद्वीपके बाहिरहुँ प्रयोग करऽहथिन । भारतीय आउ नेपाली संस्कृतिमे ई शब्द लिखित या मौखिक बोलचालके शुरुआतमे प्रयोग कैल जा है । हालाँकि विदो होवैत खनी हाथ जोड़ैत एही मुद्रा बिन कुछ कहिले बनावल जा है । योगमे योग गुरु आउ योग शिष्य द्वारा बोले जाए वाला बातके आधार पर नमस्तेके मतलब "हमर भीतरेके रोशनी तोर भीतरेके रोशनीके सत्कार करऽहै " होवऽहै ।
शाब्दिक अर्थमे एकर मने है "हम अपनेके प्रणाम करऽहियै" ई शब्द संस्कृत शब्द (नमस्): प्रणाम, श्रद्धा, आज्ञापालन, वन्दन आउ आदर आउ (ते): "अपने के"से लेल गेलै हे ।
कौनो आउ व्यक्तिसे कहल जाइत खन्नि, साधारण रूपसे एकर साथे एक ऐसन मुद्रा बनावल जा है जेकरामे सीने या वक्षके सामने दुनो हाथके हथेली एक दोसरके छूवैत आउ अङ्गुरी ऊपरे दने होवऽहै । बिन कुछो कहवहुँ एही मुद्रा बनके एही बात कहल जा सकऽहै ।

त्यौहार
editभारत एक बहु सांस्कृतिक आउ बहु धार्मिक समाज होवेके कारण विभिन्न धर्मके त्योहार आउ छुट्टीके मनावऽहै । भारतमे तीन राष्ट्रिय अवकाश है, स्वतन्त्रता दिवस, गणतन्त्र दिवस आउ गान्धी जयन्ती आउ ई तीनोके हर्षोल्लासके साथे मनावल जा है । एकर इलावा ढेर राज्य आउ क्षेत्रमे ओहाँके मुख्य धर्म आउ भाषागत जनसांख्यिकी पर आधारित स्थानीय त्यौहार है । लोकप्रिय धार्मिक त्यौहारमे शामिल है हिन्दुके दीपावली, गणेश चतुर्थी, होली, नवरात्रि, रक्षाबन्धन, दशहरा । ढेर खेती त्यौहार जैसे कि संक्रान्ति, पोंगल आउ ओनमो बड़ी लोकप्रिय त्यौहार है । कुम्भ मेला हर १२ बरसके बाद ४ अलग-अलग स्थान पर मनावल जाएवाला एक बडी बड़ सामूहिक तीर्थ यात्रा उत्सव है जेकरामे करोड़ो हिन्दु भाग ले हथिन । भारतमे कुछ त्योहार ढेर धर्म द्वारा मनावल जा है । एकर उल्लेखनीय उदाहरण है हिन्दु, सिख आउ जैन समुदायके लोग द्वारा मनावल जाएवाला दिपावली, आउ बौद्धधर्म आउ हिन्दुधर्मके लोग द्वारा मनावल जाएवाला बुद्ध पूर्णिमा । इस्लामी त्यौहार जैसे कि ईद-उल-फितर, ईद-अल-अधा आउ रमजानो पूरा भारतके मुसलामान द्वारा मनावल जा है ।
भोजन
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भातीय व्यंजन मेसे जादेतरमे मसाला आउ जड़ी बूटीके परिष्कृत आउ तीव्र प्रयोग होवऽहै । ई सब व्यंजनके हर प्रकारमे पकवानके एक अच्छा-खासा विन्यास आउ पकावेके ढेर तरीकाके प्रयोग होवऽहै । यद्यपि पारम्परिक भारितीय भोजनके महत्वपूर्ण भाग शाकाहारी है किन्तु ढेर परम्परागत भारतीय पकवानमे मुर्गा, खसी, भेड़के बच्चा, मछरी आउ अन्य प्रकारके मांसो शामिल है ।
भोजन भारतीय संस्कृतिके एक महत्वपूर्ण भाग है जे रोजमर्राके साथे-साथे त्योहारोमे एक महत्वपूर्ण भूमिका निभावऽकर है । ढेर परिवारमे हर दिनके मुख्य भोजन दुसे तीन दौरमे ढेर प्रकारके चटनी आउ अँचारके साथे, रोटी आउ भातके रूपमे कार्बोहाइड्रेटके बड़ अंशके साथे मिष्ठान सहित लेल जा है । भोजन एक भारतीय परिवारला खाली खाहींके तौर पर न बल्कि ढेर परिवारके एक साथे एकत्रित होवे सामाजिक संसर्ग बढ़ावहुँला महत्वपूर्ण है ।
विविधता भारतके भूगोल, संस्कृति आउ भोजनके एक पारिभाषिक विशेषता है । भारतीय व्यंजन अलग-अलग क्षेत्रके साथे बदलऽहै आउ ई उपमहाद्वीपके विभिन्न तरहके जनसांख्यिकी आउ विशिष्ठ संस्कृतिके प्रतिबिम्बित करऽहै । आमतौर पर भारतीय व्यंजन चार श्रेणीमे बाटल जा सकऽहै : उत्तर, दक्षिण, पूरुब आउ पश्चिम । भारतीय व्यंजन ई विविधताके बावजूद ओकरा एकीकृत करेवाला कुछ सूत्रो मौजूद है । मसालाके विविध प्रयोग भोजन तैयार करेके एक अभिन्न अंग है, ई मसाला व्यंजनके स्वाद बढ़ावे आउ ओकरा एक विशेष स्वाद आउ सुगन्ध देवेला प्रयोग कैल जा है । इतिहासमे भारत आवेवाला अलग-अलग सांस्कृतिक समूह जैसे कि पारसी, मुगल आउ यूरोपीय शक्तियो भारतके व्यंजनके बड़ी प्रभावित कैलकै हे ।
वस्त्र-धारण
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महिलाला पारम्परिक भारतीय कपड़ामे शामिल है साड़ी, सलवार कमीज आउ घाघरा चोली (लहङ्गा) । धोती, लुङ्गी आउ कुर्ता पुरुषके पारम्परिक वस्त्र है । मुम्बई भारतके फैशन राजधानी है । भारतके कुछ ग्रामीण भागमे जादेतर पारम्परिक कपड़े पहेनल जा है । दिल्ली, मुम्बई,चेन्नै, अहमदाबाद आउ पुणे ऐसन जगह है जने खरीदारी करेके शौकीन लोग जा सक हथिन । दक्षिण भारतके पुरुष उज्जर रङ्गके लम्बा चादर नुमा वस्त्र पहनऽहथिन जेकरा तमिलमे वेष्टी कहल जा है । धोतीके ऊपरे पुरुष शर्ट, टी शर्ट या आउ कुछो पहेनऽहथिन, जबकि महिला साड़ी पहेनऽहथिन जे कि रङ्ग बिरङ्गा कपड़ा आउ नमूनावाला एक चादरनुमा वस्त्र है । ई एक साधारण या फैन्सी ब्लाउजके ऊपरे पहेनल जा है । ई युवा लड़की आउ महिला द्वारा पहेनल जा है । छोट लैकी पवाडा पहनऽहथिन । पवाडा एक लम्बा स्कर्ट है जेकरा बेलौजके नीचे पहेनल जा है । दुनोमे अक्सर खुस्नूमा नमूना बनल होवऽहै । बिन्दी महिलाके श्रृंगारके भाग है । परम्परागत रूपसे लाल बिन्दी (या सिन्दूर) केवल शादीशुदा हिन्दु महिले द्वारा लगावल जा है, किन्तु अखनि ई महिलाके फैशनके भाग बन गेलै हे ।[20] भारतीय आउ पश्चिमी पहनावा, पश्चिमी आउ उपमहाद्वीपीय फैशनके एक मिलल जुलल स्वरूप है । अन्य कपड़ामे शामिल है - चूड़ीदार, ओढ़नी, गमछा, कुर्ता, मुनडम नेरियाथम आउ शेरवानी ।
साहित्य
editइतिहास
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भारतीय साहित्यके सबसे पुरानी या प्रारम्भिक कृति मौखिक रूपसे प्रेषित हलै । संस्कृत साहित्यके शुरुआत होवऽहै ५५००से ५२०० ईसा पूर्वके बीच सङ्कलित ऋग्वेदसे जे कि पवित्र भजनके एक संकलन है । संस्कृतके महाकाव्य रामायण आउ महाभारत पहिला सहस्राब्दी ईसा पूर्वके अन्तमे ऐलै । पहिला सहस्राब्दी ईसा पूर्वके पहिला कुछ शताब्दीके समय शास्त्रीय संस्कृत खूब फललै-फूलैलै, तमिल् । सङ्गम साहित्य आउ पाली केनोनो ई समय बड़ी प्रगति कैलकै ।
मध्ययुगीन कालमे क्रमशः ९मा आउ ११मा शताब्दीमे कन्नड आउ तेलुगु साहित्यके शुरुआत होलै ।[22] एकर बाद १२मा शताब्दीमे मलयालं साहित्यके पहिला रचना होलै । बादमे मराठी, बङ्गला, हिन्दीके विभिन्न बोली, फारसी आउ उर्दूओके साहित्य उजागर होल शुरू हो गेलै ।
ब्रिटिश राजके समय रवीन्द्रनाथ ठाकुरके कार्य द्वारा आधुनिक साहित्यके प्रतिनिधित्व कैल गेलै हे । रामधारी सिंह 'दिनकर', सुब्रमनिया भारती, राहुल सांकृत्यायन, कुवेम्पु, बङ्किमचन्द्र चट्टोपाध्याय, माइकल मधुसूदन दत्त, मुंशी प्रेमचन्द, मुहम्मद इकबाल, देवकी नदन खत्री प्रसीद्ध हो गेलन हे । समकालीन भारतमे जौन लेखकके आलोचकके बीच प्रशंसा भेटैलै ऊ हथिन गिरीश कर्नाड, अज्ञेय, निर्मल वर्मा, कमलेश्वर, वैकोम मुहम्मद बशीर, इन्दिरा गोस्वामी , महाश्वेता देवी, अमृता प्रीतम, मास्ति वेङ्कटेश अयेङ्गर, कुरतुलियन हैदर आउ थाकाजी सिवासङ्करा पिल्लई । आउ कुछ अन्य लेखक आलोचकके प्रशंसा प्राप्त कैलन । समकालीन भारतीय साहित्यमे दु प्रमुख साहित्यिक पुरस्कार है - साहित्य अकादमी फैलोशिप आउ ज्ञानपीठ पुरस्कार । हिन्दी आउ कन्नडमे सात, मलयालम् आउ मराठीमे चार उर्दूमे तीन ज्ञानपीठ पुरस्कार देल गेलै हे ।[23]
काव्य
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भारतमे ऋग्वेदके समयसे कविताके साथ-साथ गद्य रचनाके मजबूत परम्परा है । कविता प्रायः सङ्गीतके परम्परासे सम्बद्ध होवऽहै आउ कविताके एक बड़ भाग धार्मिक आन्दोलन पर आधारित होवऽहै या ओकरासे जुड़ल होवऽहै । लेखक आउ दार्शनिक अक्सर कुशल कवियो होवऽहथिन । आधुनिक समयमे भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलनके समय राष्ट्रवाद आउ अहिंसाके प्रोत्साहित करेला कविता एक महत्वपूर्ण हथियारके भूमिका निभैलकै हे । ई परम्परा उदाहरण आधुनिक कालमे रवीन्द्रनाथ ठाकुर आउ के एस नरसिम्हास्वामीके कविता, मध्यकालमे बासव वचन , कबीर आउ पुरन्दरदास (पद आउ देवार्नामस) आउ प्राचीनकालमे महाकाव्यके रूपमे भेटऽहै । टैगोरके गीतांजलि कवितासे दु उदाहरण भारत आउ बांग्लादेशके राष्ट्रगानके रूपमे स्वीकार कैल गेलै हे ।
महाकाव्य
editरामायण आउ महाभारत प्राचीनतम संरक्षित आउ आझो भारतके जानल मानल माहाकाव्य है । ओकर कुछ आउ संस्करण दक्षिण पूर्व एशियाई देश जैसे कि थाईलैण्ड मलेशिया आउ इण्डोनेशियामे अपनावल गेलै हे । एकर इलावा, शास्त्रीय तमिल भाषामे पाँच महाकाव्य है - सिलाप्पधिकाराम, मणिमेघलाई, जीवगा-चिन्तामणी, वलैयापति आउ कुण्डलकेसि ।
एकर अन्य क्षेत्रीय रूप आउ असम्बद्ध महाकाव्यमे शामिल है तमिल कम्ब रामायण, कन्नडमे आदिकवि पम्पा द्वारा पम्पा भारता, कुमार वाल्मीकि द्वारा तोरवे रामायण, कुमार व्यास द्वारा कर्नाट भारता कथा मंजरी, अवधी श्रीरामचरितमानस, मलयालम अध्यात्मरामायणम् ।
प्रदर्शनकारी कला
editसङ्गीत
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भारतीय सङ्गीतके प्रारम्भ वैदिको कालसे पूर्वके है । पण्डित शारङ्गदेव कृत "सङ्गीत रत्नाकर" ग्रन्थमे भारतीय सङ्गीतके परिभाषा "गीतम, वादयम् तथा नृत्यं त्रयम सङ्गीत मुच्यते" कहल गेलै हे । गायन, वाद्य वादन एवम् नृत्य; तीनो कलाके समावेश सङ्गीत शब्दमे मानल गेलै हे । तीनो स्वतन्त्र कला होइतहुँ एक दोसरके पूरक है ।भारतीय सङ्गीतके दु प्रकार प्रचलित है; प्रथम कर्नाटक सङ्गीत, जे दक्षिण भारतीय राज्यमे प्रचलित है आउ हिन्दुस्तानी सङ्गीत शेष भारतमे लोकप्रिय है । भारतवर्षके सब सभ्यतामे सङ्गीतके बड़ महत्व रहलै हे । धार्मिक एवं सामाजिक परम्परामे सङ्गीतके प्रचलन प्राचीन कालसे रहलै हे । ई रूपमे सङ्गीत भारतीय संस्कृतिके आत्मा मानल जा है । वैदिककालमे अध्यात्मिक सङ्गीतके मार्गी एवं लोक सङ्गीतके देशी कहल जा हलै । कालान्तरमे एही शास्त्रीय आउ लोक सङ्गीतके रूपमे लौकऽहै ।
भारतीय सङ्गीतमे विभिन्न प्रकारके धार्मिक, लोक सङ्गीत, लोकप्रिय, पॉप आउ शास्त्रीय सङ्गीत शामिल है । भारतीय सङ्गीतके सबसे पुरान संरक्षित उदाहरण है सामवेदके कुछ धुन जे आझो निश्चित वैदिक श्रोता बलिदानमे गाएल जा है । भारतीय शास्त्रीय सङ्गीतके परम्परा हिन्दु ग्रन्थसे बड़ी प्रभावित है । एकरामे कर्नाटक आउ हिन्दुस्तानी सङ्गीत आउ ढेर राग शामिल है । ई ढेर युगके समय विकसित होलै आउ एकर इतिहास एक सहस्राब्दी तक फैलल है । ई हमेशासे धार्मिक प्रेरणा, सांस्कृतिक अभिव्यक्ति आउ शुद्ध मनोरंजनके साधन रहलै हे । विशिष्ठ उपमहाद्वीप रूपके साथहीं एकरामे अन्य प्रकारके ओरिएण्टल सङ्गीतसे कुछ समानता है ।
पुरन्दरदासके कर्णाटक सङ्गीतके पिता मानल जा है (कर्नाटक सङ्गीता पितामह ) ।[24][25][26] ऊ अपन गीतके समापन भगवान पुरन्दर विट्टलके वन्दनके साथे कैलन आउ मानल जा है कि ऊ कन्नडभाषामे ४७५०००[27] गीत रचलन हालाँकि, केवल १०००के बारेमे आज जानल जा है ।[24][28]
नृत्य
editभारतीय नृत्योमे लोक आउ शास्त्रीय रूपमे ढेर विविधता है । जानल मानल लोकनृत्यमे शामिल है पंजाबके भांगड़ा, असमके बिहू, झारखण्डके झुमइर आउ डमकच, झारखण्ड आउ ओड़िसाके छाऊ, राजस्थानके घूमर, गुजरातके डाण्डिया आउ गरबा, कर्नाटकके यक्षगान, महाराष्ट्रके लावणी आउ गोवाके देख्न्नी । भारतके सङ्गीत, नृत्य आउ नाटकके राष्ट्रिय अकादमी द्वारा आठ नृत्य रूप, ढेर कथा रूप आउ पौराणिक तत्ववाला ढेर रूपके शास्त्रीय नृत्यके दर्जा देल गेलै हे । ई है: तमिल्नाडुके भरतनाट्यम्, उत्तरप्रदेशके कथक, केरलके कथककली आउ मोहिनी आटम्, आन्ध्रप्रदेशके कुचिपुड़ी, मणिपुर का मणिपुरी, ओड़िसाके ओडिसी आउ असमके सत्त्रिया ।[29]
कलारिपपयाट्टू या कलारीके दुनियाके सबसे पुराना मार्शल आर्ट मानल जाहै । ई मल्लपुराण नियन ग्रन्थके रूपमे संरक्षित है । कलारी आउ ओकर साथे साथे ओकर बीद आएल मार्शल आर्टके कुछ रूपके बारेमे एहु मानल जा है कि बौद्धधर्म नियन एहु चीन तक पहुँच गेलै हे आउ अन्ततः एकरेसे कुङ्ग-फुके विकास होलै । बादमे आवेवाला मार्शल आर्ट्स है- गतका, पहलवानी आउ मल्ल-युद्ध भारतीय मार्शल आर्ट्सके ढेर महान लोग अपनैलन हल, जेकरामे शामिल है बोधिधर्म जे भारतीय मार्शल आर्ट्सके चीन तक ले गेलन ।
नाटक आउ रङ्गमञ्च
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भारतीय सङ्गीत आउ नृत्यके साथे साथे भारतीय नाटक आउ थियेटरोके अपने लम्बा इतिहास है । कालिदासके नाटक शकुन्तला आउ मेघदूत कुछ पुराना नाटक है, जेकर बाद भासके नाटक ऐलै । २००० साल पुराना केरलके कुटीयट्टम् विश्वके सबसे पुरानी जीवित थियेटर परम्परा मेसे एक है । ई सख्तीसे नाट्यशास्त्रके पालन करहै ।[30] कलाके इस रूपमे भासके नाटक बहुत प्रसिद्द है । नाट्याचार्य (स्वर्गीय) पद्मश्री मणि माधव चक्यार - अविवादित रूपसे कलाके ई रूप आउ अभिनयके आचार्य - ई पुरान नाट्य परम्पराके लुप्त होवेसे बचैलन आउ एकरा पुनर्जीवित कैलन । ऊ रस अभिनयमे अपन महारतला जानल जा हथिन । ऊ कालिदासके नाटक अभिज्ञान शाकुन्तल, विक्रमोर्वसिया आउ मालाविकाग्निमित्र ; भासके स्वप्नवासवदत्ता आउ पञ्चरात्र ); हर्षके नागनन्दा आदि नाटकके कुटियट्टम् रूपमे प्रर्दशित कैल शुरू कैलन ।[31][32]
लोक थिएटरके परम्परा भारतके अधिकांश भाषाई क्षेत्रमे लोकप्रिय है । एकर इलावा ग्रामीण भारतमे कठपुतली थियेटरके समृद्ध परम्परा है जेकर शुरुआत कमसे कम दोसरा शताब्दी ईसा पूर्वमे होलै हल । एकर पाणिनि पर पतञ्जलिके वर्णन)मे उल्लेख कैल गेलै है समूह थियेटरो शहरोमे पनपित है, जेकर शुरुआत गब्बी वीरंन्ना, उत्पल दत्त, ख्वाजा अहमद अब्बास, के वी सुबन्ना नियन लोग द्वारा कैल गेलै आउ जे आझो नन्दिकर, निनासम आउ पृथ्वी थिएटर नियन समूह द्वारा बरकरार रखल गेलै हे ।
इहो देखी
editसन्दर्भ
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