प्राचीन बिहारके ऐतिहासिक स्रोतसे प्राप्त महत्वपूर्ण तथ्यसे स्पष्ट होवहे कि ई राज्य पवित्र गङ्गा घाटीमे स्थित भारतके उत्तरोत्तर क्षेत्र हल जेकर प्राचीन इतिहास अत्यन्त गौरवमयी आउ वैभवशाली हल । हियाँ ज्ञान, धर्म, अध्यात्म आउ सभ्यता-संस्कृतिके ऐसन किरण प्रस्फुटित भेल जेकरासे न खाली भारत बल्कि समस्त संसार आलोकित भेल ।
कालखण्डके अनुसार बिहारके इतिहासके दू भागमे बाँटल जा सकहे -
- पूर्व ऐतिहासिक काल (ल. १५००० से १२०० ईसा पूर्व)
- ऐतिहासिक काल (ल. १२०० ईसा पूर्व से १२०० इस्वी)
पूर्व ऐतिहासिक काल
editई ऐतिहासिक काल अत्यन्त प्राचीनतम हे जे ऐतिहासिक युगसे लगभग एक लाख वर्ष पूर्वके काल हे ।
पूर्व ऐतिहासिक कालमे बिहारके बिभिन्न भागमे आदिमानव रहल करहलै । आदिमानवसे जुड़ल बिभिन्न प्रकारके तात्कालिक साक्ष्य आउ सामग्री प्राप्त भेलै हे । जैन स्थलसे साक्ष्य भेटल हे ऊ मुङ्गेर, पटना आउ गया हे । एकरामे सोनपुर, चेचर (वैशाली), मनेर (पटना) उल्लेखनीय हे ।
प्लीस्तोसीन कालके पत्थरके बनर समान आउ औजार बिहारमे बिभिन्न स्थानसे प्राप्त भेलहे । चिरान्द आउ सोनपुर (गया) से करिया आउ लाल मृदभाण्ड युगीन (हड़प्पा युगीन) अवशेष भेटल हे । हड़प्पा युगीन साक्ष्य ओरियम (भागलपुर), राजगीर आउ वैशालियोमे भेटल हे ।
पूर्व ऐतिहासिक बिहारके निम्न युग द्वारा अध्ययन कैल जा सकहे -
पूर्व प्रस्तर युग (१०००० ईपू से पूर्व)- आरम्भिक प्रस्तर युगके अवशेष हरत, कुल्हाड़ी, छुड़ी, खुर्पी, रजरप्पा (हजारीबाग पहिले बिहार) आउ सञ्जय घाटी (सिंहभूम) मे भेटल हे । ईसाक्ष्य जेठियन (गया), मुङ्गेर आउ नालन्दा मण्डलमे उत्खननके क्रममे प्राप्त भेलहे ।
मध्यवर्ती प्रस्तर युग (१०००० ईपू से ४००० ईपू)- एकर अवशेष बिहारमे मुख्यतः मुङ्गेर मण्डलसे प्राप्त भेलहे । एकरामे साक्ष्यके रूपमे पत्थरके छोट टुकड़ासे बनल बस्तु आउ तेज धार आउ नोँकवाला औजार प्राप्त भेलहे ।
नव प्रस्तर युग (४००० ईपू से २५०० ईपू)- ई कालके ऐतिहासिक साक्ष्यके रूपमे पत्थरके बनल सूक्ष्म औजार प्राप्त भेलहे । हड्डीके बनल समानो प्राप्त भेलहे । ई कालके अवशेष उत्तर बिहारमे चिराद (मुङ्गेर मण्डलसे प्राप्त भेलहे । एकरामे साक्ष्यके रूपमे पत्थरके छोट टुकड़ासे बनल बस्तु आउ तेज धार आउ नोँकवाला औजार प्राप्त भेलहे ।
नव प्रस्तर युग (४००० ईपू से २५०० ईपू)- ई कालके ऐतिहासिक साक्ष्यके रूपमे पत्थरके बनल सूक्ष्म औजार प्राप्त भेलहे । हड्डीके बनल समानो प्राप्त भेलहे । ई कालके अवशेष उत्तर बिहारमे चिराद (सारण मण्डल) आउ चेचर (वैशाली) से प्राप्त भेलहे ।
ताम्र प्रस्तर युग (२५०० ईपू से १००० ईपू)- चिराद आउ सोनपुर (गया) से करिया आउ लाल मृदभाण्डके सामान्य तौरपर हड़प्पाके सभ्यताके विशेषता मानल जाहे ।
बिहारमे ई युगके अवशेष चिराद (सारण), चेचर (वैशाली), सोनपुर (गया), मनेर (पटना) से प्राप्त भेलहे ।
उत्खननसे प्राप्त मृदभाण्ड आउ मट्टीके बर्तनके टुकड़ासे तत्कालीन भौतिक संस्कृतिके झलक भेँटहे । ई युगमे बिहार सांस्कृतिक रूपसे बिकसित हल । मानव गुफासे बाहिरे आके कृषि कार्यके आरम्भ कैलक आउ पशुके पालक बनैलक । मृदभाण्ड बनैलक आउ ओकर खाये पकावे आउ सञ्चयके उद्देश्यसे प्रयोग कैलो सीख गेलैहल । ई सभ साक्ष्यके हमनी प्री ऐरे ऐज बिहारके इतिहासो कह सकहियै ।