बनारस (भोजपुरी: 𑂥𑂢𑂰𑂩𑂮/बनारस; हिन्दी: वाराणसी; सन्स्कृत: काशी/वाराणसी; अङ्ग्रेजी: Varanasi), जेकरा कासी (काशी, Kashi) आउ वाराणसीयो (Benaras) कहल जाहई, भारतके उत्तरपरदेस राज्जमे गङ्गा नदीके तटपर स्थित एगो प्राचीन नगर हई। हिन्दुधरममे ई एगो अत्यन्त महत्वपूर्ण तीर्थस्थल हई, आउ बौद्ध आउ जैनधरमोके एगो तीर्थ हई। हिन्दु मान्यतामे एकरा "अविमुक्त क्षेत्र" कहल जाहई।
बनारस सन्सारके प्राचीन बसल नगरमे से एक हई। कासी नरेस (कासीके महाराजा) बनारस नगरके मुखसान्स्कृतिक सन्रक्षक आउ सब धार्मिक क्रिया-कलापके अभिन्न अङ्ग हथिन। बनारसके सन्स्कृतिके गङ्गा नदी आउ एकर धार्मिक महत्त्वसे अटूट सम्बन्ध हई। ई नगर सहस्र बरससे भारत के, बिसेसकर उत्तर भारतके सान्स्कृतिक आउ धार्मिक केन्द्र रहलैहे। हिन्दुस्थानी सास्त्रीयसङ्गीतके बनारस घराना बनारसेमे जनमलै आउ बिकसित होलैहे। भारतके कई दार्सनिक, कवि, लेखक, सङ्गीतज्ञ बनारसमे रहलथिनहे, जेकरामे कबीर, वल्लभाचार्य, रविदास, स्वामी रामानन्द, त्रैलङ्ग स्वामी, सिवानन्द गोस्वामी, मुन्सी प्रेमचन्द, जयसङ्कर परसाद, आचार्य रामचन्द्र सुक्ल, पण्डित रविसङ्कर, गिरिजा देवी, पण्डित हरिपरसाद चौरसिया आउ उस्ताद् बिस्मिल्लाह खाँ आदि कुछ हखिन। गोस्वामी तुलसीदास हिन्दुधरमके परम-पूज्य ग्रन्थ रामचरितमानस एहैयेँ लिखलथिनहल आउ गौतम बुद्ध अपन प्रथम परवचन एहाँ निकटे सारनाथमे देलथिनहल।
बनारसमे चार बड़ा बिश्वविद्यालय स्थित हई - बनारस हिन्दु बिश्वविद्यालय, महात्मा गान्धी कासी बिद्यापीठ, सेण्ट्रल् इन्स्टीट्यूट् ऑफ् हाइयर् टिबेटियन् स्टडीज् आउ सम्पूर्णानन्द सन्स्कृत बिश्वविद्यालय। एहाँके निवासी मुख्यतः कासिका भोजपुरी बोलहथिन, जे हिन्दीयेके एगो बोली हई। बनारसके प्रायः 'मन्दिरके नगर', 'भारतके धार्मिक राजधानी', 'भगवान् सिवके नगरी', 'दीपके नगर', 'ज्ञान नगरी' आदि बिसेसनसे सम्बोधित करल जाहई। प्रसिद्ध अमरीकी लेखक मार्क् ट्वेन् लिखहथिन: "बनारस इतिहासोसे पुरातन हई, परन्परोसे पुराना हई, किँवदन्तियोसे (लीजेण्ड्स्) प्राचीन हई आउ जखनी ई सबके एकत्र कर देल जाये, त ऊ सङ्ग्रहोसे दुगुना प्राचीन हई।"
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