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भारतीय आर्यभाषाके मध्यजुगमे जे अनेक प्रादेसिकभाषा बिकसित भेल ओकर सामान्यनाम प्राकृत हे आउ ऊसभ भाषामे जे ग्रन्थ रचल गेल ओकरा सभके समुच्चयरूपसे प्राकृत साहित्य कहल जाहे । प्राकृतके प्रसार प्राचीनकालमे भारतमे हल आउ ई प्राचीन सन्स्कृत नाटक आदिमे स्त्रि, सेवक आउ साधारण व्यक्तिके बोलचालमे आउ अलग ग्रन्थमे पाएल जाहे । भारतके बालचालके भाषा बोलचालके प्राकृतसे बनल हे ।

१५०० ई मे जैनप्राकृतमे लिखल गेल सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्र । एकर रचना मूलतः तीसरा-चौथा शताब्दी ईसापूर्बमे कैल गेलहल ।

बिकासके दृष्टिसे भाषाबैज्ञानिक भारतमे आर्यभाषाके तीन स्तर नियत कैलन हे - प्राचीन, मध्यकालीन आउ अर्वाचीन । प्राचीन स्तरके भाषा बैदिक सन्स्कृत आउ सन्स्कृत हे, जिनखर बिकासके काल अनुमानतः ईसापूर्ब २००० से ईसापूर्ब ६०० तक मानल जाहे । मध्यजुगीन भाषा हे - मागधी, अर्धमागधी, शौरसेनी, पैशाचीभाषा, महाराष्ट्री आउ अपभ्रन्श । इनखर बिकासकाल ईसापूर्ब ६०० से ई १००० तक पाएल जाहे ।

एकरो देखी

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सन्दर्भ

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