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मधुबनी चित्रकला, जेकरा मिथिला चित्रकला-ओ कहल जाहे, बिहारके मिथिला क्षेत्रके एगो प्रमुख कला परम्परा हे । ई चित्रकला मुख्यरूपसे महिला द्वारा बनावल जाहे आउ एकरामे प्राकृतिक रङ्गके प्रयोग कैल जाहे । ई कलाके आरम्भ १९६० मे मधुबनी मण्डलके एगो साध्वी, स्वर्गीय महासुन्दरी देवी के साथे भेलै हल जे रङ्गीन चित्रकलाके परिचय देलन । एकरा बादेसे महिला ई कलाके अपनावे लगलथिन आउ आज ई कला पूरा बिश्वमे प्रसिद्ध हे ।[1]

मधुबनी चित्रकला
चित्र बनावैत कलाकार महिला

बिहारके दरभङ्गा, पूर्णिया, सहरसा, मुजफ्फरपुर, मधुबनी आउ नेपालके कुछ क्षेत्रके प्रमुख चित्रकला हे । प्रारम्भमे रङ्गोलीके रूपमे रहेके बाद ई कला धीरे-धीरे आधुनिक रूपमे कपड़ा, भीत्ति आउ कागज पर उतरे लगलै । मिथिलाके महिला द्वारा आरम्भ कैल गेल ई घरेलू चित्रकलाके पुरुषो अपना लेलथिन ।[2] बर्तमानमे मिथिला चित्रकलाके कलाकार अन्तर्राष्ट्रिय स्तर पर मधुबनी आउ मिथिला चित्रकलाके सम्मानके आउ बढ़ावे जायेके लेके लगभग 10,000 वर्ग/फीट मे मधुबनी रेलस्थानकके भीत्तिके मिथिला चित्रकलाके कलाकृतिसे सरोबार कैलक । उनखर ई पहल निःशुल्क अर्थात् श्रमदानके रूपमे कैल गेलै । श्रमदान स्वरूप कैल गेल ई अद्भुत कलाकृतिके विदेशी पर्यटक आउ सैनानी द्वारा खूब पसन्द कैल जाइत हे ।[3]

मधुबनी चित्रकलाके विशेषतामे एक बात एह हे कि एकरामे लकड़ीके टुकड़ा पर बनावल जाहे । मुख्यरूपसे खोदाई कैल जायेवाला रङ्गमे सामञ्जस्य, लाल, हरियर, लील, आउ करिया होवहे जे ई कलाके विशेषता प्रदान करहे ।

सन्दर्भ

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  1. "बिहार की मिथिला पेंटिंग है बेहद खास, जानिए क्यों होता है जिक्र". प्रभात खबर. 22 जुलाई 2022. अभिगमन तिथि 04 दिसम्बर 2023. |access-date= में तिथि प्राचल का मान जाँची (सहायता)
  2. Krupa, Lakshmi (2013-01-04). "Madhubani walls". The Hindu. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0971-751X. अभिगमन तिथि 2021-09-13.
  3. Madhubani Painting. Abhinav Publications. 2003. आई॰ऍस॰बी॰एन॰ 978-81-7017-156-0.