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२०११ तक भारतके जनगणना १५ बेर कैल जा चुकल हे । १८७२ मे ई ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड् मेयो के अधीन पहिला बेर करावल गेलहल ।[1] ओकर बाद ई प्रत्येक १० बरिसमे एक बेर होव हे । हालाँकि भारतके पहिला सम्पूर्ण जनगणना १८८१ मे होल । १९४९ के बादसे ई भारतसरकारके गृहमन्त्रालयके अधीन भारतके महारजिस्ट्रार् आउ जनगणना आयुक्त द्वारा करावल जाहे ।[2] १९५१ के बादके सब जनगणना १९४८ के जनगणना अधिनियमके तहत करावल गेलै ।[3] १९४८ के भारतीय जनगणना अधिनियम केन्द्रसरकार के कौनो बिशेष तिथिपर जनगणना करे वा अधिसूचित अवधिमे अपन डेटा जारी करेला बाध्य न करहे । अन्तिम जनगणना २०११ मे करावल गेलहल, जखनिकि अगिला २०२१ मे करावल जाएला हलै । किन्तु एकरा COVID-१९ महामारीके चलते स्थगित कर देल गेलहे ।[4]

मौर्य प्रशासनमे जनगणना लेवेला एगो नियमित प्रक्रिया हल । मौर्य साम्राज्जमे व्यापारी, कृषक, लुहार, कुम्हार, बढ़ै आदि जैसन लोगके बिभिन्न बर्गके गणना करेला ग्रामीण अधिकारी (ग्रामिक) आउ नगरपालिका अधिकारी (नागरिक) जिम्मेदार हलन आउ मवेशियो, अधिकतर कराधान उद्देश्य लागि ।[5] ये व्यवसाय जातिके रूपमे समेकित होल, भारतीय समाजके एगो बिशेषता जे आझोतक भारतीय राजनीतिके प्रभावित करैतहे ।

स्वतन्त्रतासे पहिले भारतके जनगणना

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स्वतन्त्रभारतके जनगणना

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एकरो देखी

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सन्दर्भ

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  1. "Census Reports 1921". मूलसे 15 नवंबर 2019 के पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 जून 2020. |archive-date= में तिथि प्राचल का मान जाँची (सहायता)
  2. "महारजिस्ट्रार् आउ जनगणना आयुक्तके कार्यालय, भारत". महारजिस्ट्रार् आउ जनगणना आयुक्तके कार्यालय, भारत. मूल से २४ सितम्बर २०१९ के पुरालेखित.
  3. "The delay in the decennial Census".
  4. "Government likely to postpone census to 2022". The Hindu. मई ११, २०२१.
  5. "The politics behind the caste census in Bihar".

बाहरी कड़ी

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