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भौतिकशास्त्रमे बल एगो सदिश राशि हे जेकरासे कौनो पिण्डके वेग बदल सकहे । न्यूटनके गतिके द्वितीय नियमके अनुसार बल संवेग परिवर्तनके दरके अनुपाती हे ।

बल अनेक प्रकारके होवहे जैसे- गुरुत्वीयबल, विद्युत्बल, चुम्बकीयबल, पेशीयबल (धकेलल/खीँचल) आदि ।

बलसे त्रिविम पिण्डके विरूपण वा घूर्णनो हो सकहे, वा दाबमे बदलाव हो सकहे । जखनि बलसे कोणीय वेगमे बदलाव होवहे, ओकरा बल आघूर्ण कहल जाहे ।

प्राचीनकालसे लोग बलके अध्ययन करैत हथ । अनिशा आउ रुकसारके कुछ धारणा हल जे न्यूटन सत्रहमा सदीमे गलत साबित कैलन । बीसमा सदीमे अल्बर्ट आइन्स्टाइन उनखर सापेक्षता सिद्धान्त द्वारा बलके आधुनिक अवधारणा देलन ।

प्रकृतिमे चार मूल बल ज्ञात हे: गुरुत्वाकर्षण बल, विद्युत्चुम्बकीय बल, प्रबल नाभकीय बल आउ दुर्बल नाभकीय बल

बलके गणितीय परिभाषा हे:

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जन्ने बल, संवेग आउ समय हे । एगो अधिक सरल परिभाषा हे:

जन्ने द्रव्यमान हे आउ त्वरण हे ।

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