पानीपतके प्रथम युद्ध उत्तरभारतमे लड़ल गेलै हल,आउ ई ई इलाकामे मुगल साम्राज्यके नीँव रखकै । ई ऊ सब पहिला लड़ैइयोमे से एक हलै जेकरामे बारूद, आग्नेयास्त्र आउ मैदानी तोपखाना के लड़ाईमे शामिल कैल गेलै हल ।
पानीपतके प्रथम युद्ध | |||||||||
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मुगलके विजय के भाग | |||||||||
बाबरनामासे पानीपतके प्रथम युद्ध | |||||||||
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योद्धा | |||||||||
मुगल साम्राज्य | दिल्ली सल्तनत | ||||||||
सेनानायक | |||||||||
बाबर | सुल्तान इब्राहिम लोदी† | ||||||||
शक्ति/क्षमता | |||||||||
12,000-25,000 मुगल एवं अफगान,[1] सम्बद्ध भारतीय सैनिक,[1] 24 मैदानी तोप |
50,000-100,000 सैनिक,[1] 300 युद्ध हाथी[2] | ||||||||
मृत्यु आउ हानि | |||||||||
कम | 20,000 |
बरिस 1526 मे, काबुल के तैमूरी शासक जहीर उद्दीन मोहम्मद बाबरके सेना दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी, के एक जादे बड़ सेनाके युद्धमे परास्त कैलकै ।
युद्ध के 21 अप्रैल के पानीपत नामक एक छोट सुन गाँओ भिरु लड़ल गेलै हल जे वर्तमान भारतीय राज्य हरियाणामे स्थित है । पानीपत ऊ स्थान है जन्ने बारहमा शताब्दीके बाद से उत्तर भारतके नियन्त्रणके लेके ढ़ेर निर्णायक लड़ाई लड़ल गेलै ।
एक अनुमानके मुताबिक बाबरके सेनामे 12,000-25,000 के करीब सैनिक आउ 20 मैदानी तोप हलै । लोदी के सेनाबल 130000 के आसपास हलै, हालांकि ई सङ्ख्यामे शिविर अनुयायीके सङ्ख्या शामिल है, जखनिकि लड़ाकू सैनिक के संख्या कुल 100000 से 110000 के आसपास हलै, एकर साथे कमसे कम 300 युद्ध हाँथियो युद्धमे भाग लेलकै हल । क्षेत्रके हिन्दु राजा-राजपूत ई युद्धमे तटस्थ रहलै हल, किन्तु ग्वालियर के कुछ तोमर राजपूत इब्राहिम लोदी दन्नेसे लड़कै हल ।
ई युद्धमे बाबर तुलुगमा पद्धति के प्रयोग कैलकै हल । एकर एक अन्य नाम उच्चतर युद्ध कौशल हलै । ई अखनी तक के युद्धमे पहिला ऐसन युद्ध हलै जेकरा मे एकर प्रयोग कैल गेलै ।
बाबरके द्वारा ई युद्धमे उस्मानी विधियो ( तोप सजावे के विधि) के प्रयोग कैल गेलै । ई ई चीज तुर्कसे सीखकै हल । पानीपतके ई युद्ध मे इब्राहिम लोधी युद्ध भूमिमे मारल गेलै । ई तरह बाबरके विजय होलै । बाबर कबूल कैल जनताके चान्दी के सिक्का देलकै । एकर उपरान्त बाबरके कलन्दरके उपाधि देल गेलै ।
इहो देखी
editसन्दर्भ
edit- ↑ 1.0 1.1 1.2 (Davis 1999, pp. 181 & 183)
- ↑ (Davis 1999, p. 181)