साधारण बोलचालके भाषामे करम (तत्सम: कर्म; पालि: 'कम्म') के अर्थ होवहे 'क्रिया' । व्याकरणमे क्रियासे निष्पाद्यमान फलके आश्रयके करम कहहथ । "राम घरे जाहे' ई उदाहरणमे "घर" गमन क्रियाके फलके आश्रय होवके नाते "जाएल क्रिया' के करम हे । किन्तु दर्शनके दृष्टिसे कर्मके भिन्ने अर्थ हे ।