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मल्लिनाथजी अेक बौत ई पराक्रमी पुरुष हा। आपरै पराक्रम सूं वै सारौ महैवौ प्रदेेस आपरै कब्जै में कर लियौ हौ, जकौ बाद में उणां रै नाम सूं मालाणी मशहूर हुयौ। जठै उणां रै वंशजां रौ ई कब्जौ रैयौ। अै मारवाड़ रै राव सलखाजी रा पुत्र हा, सिदध पुरुष ई हा। मुंहता नैणसी मुजब "मल्लिनाथ फगत सिद्ध पुरुष ई नीं हा, उणां नै देवतावां रौ चमत्कार ई प्राप्त हौ। वै भविष मांय घटण वाली बातां पैली ई जाण लेवता हा।" कैयौ जावै के अेक सिद्ध जोगी री दुआ सूं वै रावल पदवी धारण करी ही। इणी कारण उणां रा वंशज ई रावल बाजता रैया है। यूं मारवाड़ रा लोग तौ उणांनै ई सिदध या अवतारी पुरुष मानता रैया है अर इणरौ प्रमाण है लूणी नदी रे किनारै बस्यौडै़ तिलवाड़ै गाम में बण्यौड़ौ इणां रौ मिंदर, जठै आयै बरस चैत महीनै में अेक मेलौ लाग्या करै। इणरै अलावा मंडोर में आयौड़ी चावी देवतावां अर वीरां रा साल में ई घोड़ै माथै सवार णिां री अेक बौत बडी मूरती खुद्योड़ी है। 'जोधपुर राज्य री ख्यात' मुजब राव सलखा रै जेठै बेटै रै रूप में मल्लिनाथ रौ जनम वि. सं. 1395 परवाणै ई. स. 1338 में सिवाणा रै गाम गोपड़ी में हुयौ हौ। पिता रै सुरगवास रै बाद बारै बरस री उमर में वै आपरै काकै राव कान्हड़देव रै कनै गया। इणां रै काम करण री कुसलता सूं राजी हुय'र थोड़ै ई बगत में राव कान्हड़देव राज्य रौ सगलौ प्रबंध इणां नै सूंप दियौ। अेकर दिल्ली रै बादसा कानी सूं कीं आदमियां रै साथै अेक किराड़ी दंड वसूलण नै आयौ। सिरदारां री राय सूं कान्हड़देव दंड नीं देवण रौ तै कर्यौ, साथै किराड़ी समेत बादसा रै सै आदमियां नै मारण रौ ई। पण मल्लिनाथ कूटनीति रौ सहारौ लेय'र किराड़ी री बौत खातिरदारी करी अर उणनै सही-सलामत दिल्ली पुगवाय दियौ। इण बात माथै बादसा इणां नै महेवै री रावलाई रौ टीकौ दियौ। पण कीं इतिहासकार इणनै नीं मानै। जद कान्हड़देव रौ देहांत हुयौ तो मल्लिनाथ सोचण लाग्या के बादसा टीकौ तौ देय दियौ पण जद तांई त्रिभुवनसी जीवतौ है, राज म्हारै हाथ लागण वालौ नीं। सो सेवट वै महेवै री गादी माथै बैठ्यै त्रिभुवनसी नै उणरै इज भाई पद्मसिंह रै हाथां मरवाया दियौ। त्रिभुवनसी नै मरवावण रै बाद मल्लिनाथ सुभ म्हौरत दिखाय'र महेवै पूग्या अर पाट बैठ्या। वै चौफेर आपरी आण फिराई। लगैटगै सगला ई राजपूत आय'र उणां सूं मिलग्या। इण भांत उणां री ठकराई दिनौदिन बढ़ण लागी। मल्लिनाथ मंडोर, मेवाड़, आबू अर सिंघ रै बीच लूट-मार कर करनै जद मुसलमानां नै तंग करणा सरू कर्या, तद उणां री अेक बौत बडी सेना चढा़ई करी, जिणमें तेरै दल हा। मल्लिनाथ तैरै ई दलां नै हराय दिया। 'जोधपुर राज्य री ख्यात' मुजब आ घटना वि. सं. 1435 (ई. सं. 1378) में हुई। इण हार रौ बदलौ लेवण सारू मालवै रौ सूबेदार खुद इणां माथे चढ़ाई करी, पण मल्लिनाथ री शूरवीरत अर जुद्ध-कौसल रै सामी वौ टिक नीं सक्यौ। मारवाड़ में औ अघदूहौ घणौ चावौ रैयौ है- तेरा तुंगा भांगिया, मालै सलखाणीह। मतलब सलखा रौ बेटौ मालौ आपरै अनूठै पराक्रम सूं मुसलमानां री फौज रै तेरा तुंगां (दलां)नै हराय दिया। मल्लिनाथ सालोड़ी गाम आपरै भतीजै चूंड़ै (राव वीरम रै बेटै) नै जागीर में दियौ हौ अर उणरै नागौर माथै चढ़ाई करण में उणरी मदत ई करी ही। इणरै अलावा वै सिवाणौ मुसलमानां सूं खोस'र आपरै छोटै भाई जैतमाल नै, खेड़ (किणी-किणी ख्यात में भिरड़कोट) सोतैलै भाई वीरम नै, अर ओसियां सोतैलै भाई शोभित नै जागीर में दिया है। दरअसल ओसियां माथै उण बगत पंवारां रौ कब्जौ हौ अर मल्लिनाथ री इजाजतसूं शोभित उणां नै हराय'र उण माथेै कब्जौ कर्यौ हौ। रावण मल्लिनाथ महान वीर अर नीतिज्ञ शासक हा। उणां नीं सिरफ राठौ़डी राज रौ विस्तार करियौ, बल्कै उणनै मजबूती ई प्रदान करी मल्लिनाथ रौ सुरगवास वि. सं. 1456 (ई.स. 1399) में हुयौ। इतिहासकार रेउ मुजब मल्लिनाथ रै 5 बेटा हा अर ओझा मुजब 9, जिणां में जेठौ बेटौ हुवण रै कारण जगमाल पाटवी हुयौ। आखरी दिनां में साधु वृत्ति धारण करण सूं रावल मल्लिनाथ नै सिद्ध-जोगी रै रूप में आज ई मारवाड़ याद करै। अै बडा करामाती सिद्ध अर वीर तौ हा पण अेक पंथ ई चलायौ। इणां री राणी रूपां दे रै चमत्कारां अर उगमसी भाटी रै उपदेशां सूं प्रभावित हुय'र पंथ में दीक्षित हुया। जिण में गुरु भगती अर ईस्वर भगती रै माध्यम सूं मिनखा जूंण री सफलता नै खास घैय मानियौ।