बाबा रामदेव अेक लोकदेवता रै रूप में पुजीजै। लोक देवता अै अैड़ा, जिका कृष्ण रा अवतार मानीजै। राजस्थान रै अलावा गुजरात मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेशंजाब, इत्याद प्रदेशां मरांय ई इणां री मान्यता है। भादवै अर माघ महीणां रै चानणै पख री दसमी नै इणां रै समाधि-स्थल रामदेवरा मांय भरीजण वालै मेलां मांय न्यारै-न्यारै प्रदेशां रै जातरूवां री घणी भीड़ रैवै। बाबा रामदेव रै उपासकां में राजा-महाराजावां अर सेठ-साहूकारां सूं लेय'र साधारण सूं साधारण लोग ई सामल हुवै। हरेक गाम-नगर, बास-मुहल्ला मांय बाबा रामदेव रा उपासना-स्थल बणियोड़़ा है। इणरै अलावा लोग आप-आपरै घरां मरांय ई उणां रा 'पगलिया' थापन कर' र सुतंतर रूप सूं उपासना करै। बाबै रा भगत लोग आपरै गलां मांय चांदी या सोनै रा 'फूल' धारण करियोड़ा रैवै जिका सैज ई पिछाणिया जायै। उत्तरादै भारत मांय बाबा रामदेव ई अेकमात्र अैड़ा देवता है जिणां रै पूजा-स्थल में हिंदू-मुसलमान, सवर्ण, असवर्ण, अमीर-गरीब इत्याद रौ कोई भेद नीं है। सगलाई समान रूप सूं उणां री पूजा-अरचणा कर सकै अर अेक इज कुंडी सूं चरणाम्रत पान करै। जिण तरै हिंदू इणां नै 'बाबा रामदेव' कैय' र पुकारै, उणी तरै मुसलमाना इणां नै 'रामशाह पीर' नाम सूं संबोधित करै। पैला सूं इज प्रचलित सिद्ध संप्रदाय अर भगत कबीर रै बीच बाबा रामदेव इज अेक अैड़ा महापुरुष हुया है, जिका जात-पांत रौ भेद मिटाय'र मिनख मात्र नै समान मानण सारू जतन करिया अर वै उणमें सफल ई हुया। बाबा रामदेव रा बडेरा तुंवर अनंगपालजी दिल्ली रा छेहला तुंवर सम्राट हा। सांभर रा चौहाण उणां सूं दिल्ली रौ राज खोस लियौ हौ। सो राजा नीं रैया तुंवर अनंगपाल आपरै परिवार रै साथै दिल्ली छोड'र मौजूदा जयपुर जिलै रै त्हैत आयै 'नराणा' नाम रै गाम मांय रैवास करियौ हौ। जयपुर जलै रौ औ छेत्र आज ई पण 'तुंवर वाटी' रै नाम सूं ब तलाईजै। इणी परिवार मांय तुंवर रणसी हुया। अै आपरै बगत रै चावै संत रै रूप में ओलखीजता हा। इणां रै चमत्कारा सूं प्रबावित हुय'र अनेक लोग उणां रा अनुयायी बणग्या। कैयौ जावै के आ घटना उण बगत रै काजियां नै घणी पुरी लागी। वै इणां री शिकायत बादसा सूं करी। बादसा तुंवर रणसी नै दिल्ली बुलाया अर चमत्कार दिखावण रौ कैयौ। तुंवर रणसी अनेकूं चमत्कार बताया, जिणां सूं बादसा डरग्यौ अर आपरै आदमियां सूं इणां रौ सिर कटवाय दियौ। इण घटना रै बाद इणां रा पुत्र तुंवर अजैसी आपरै परिवार रै साथै 'नराणा' गाम छोड'र पिच्छम कानी चाल पड़िया। केई दिनां रै बाद वै मौजूदा बाड़मेर जिलै री शिव तैसील रै त्हैत आयै गाम ऊंडू-काश्मीर पूगिया। इण गाम सूं पिच्छम कानी कोई च्यार किलोमीटर री दूरी माथै अेक ब ौत बड़ौ थल है। उणनै सुरक्षा री दीठ सूं उचित समझता थकां अजैसी इणी थल रै बीच गाडियां छोडी। वरतमान में औ स्थान 'गडोथल' नाम सूं इज पुकारीजै।
वांई दिनां कुंडल गाम रौ शासक बुध भाटी-पम्मौ घोरंघार शासन गमाय'र अठी-उठी लूट-खसोट कर रैयौ हो। उणरा आदमी जद इण तुंवर काफिलै नै नवौ आयोड़ौ देखियौ तौ वौ लूटण री योजना बणाई। पण जद खुद पम्मै धोरंधार रौ सामनौ तुंवर अजैसी सूं हूयौ, तौ उणरौ विचार बदलग्यौ अर वौ आपरी पुत्री 'मैणादे' या 'मेणादे' री सगाई तुंवर अजैसी रै साथै कर दी। बाबा रामदेव आं ई मैणादे री दूजोड़ी सन्तान रै रूप मांय अवतरिया। तुंवर अजैसी या अजमल नै पुत्र-लाभ घणौ बगत बीतियां हुयौ हौ। बडै पुत्र वीरमदेव रौ जनम सं. १४०५ वि. नै हुयौ और छोटै पुत्र रामदेव रौ जनम वि. सं. १४०९ मै चैत सुद पांचम सोवार रै दिन हुयो। रामदेव रै जनम रै बगत आखै देश री हालत कोई अच्छी नीं ही। केन्द्र मांय मुसलमानां रौ घणियाप हौ। ूजै प्रदेसां मांय छोटा-छोटा राज्य हा, जिका जरा-सीक बात सारू ई भड़क' र जुद्ध नै त्यार हुय जावता हा। राजगादी सूं हटियोड़ा-हटायोड़ा शासक लुटेरां रै रूप मांय जनता नै पीडित करता रैवता हा। धारमिक स्थिति ई अैड़ी ई ही। भांत-भांत रै अनेक पंथां सम्प्रदायां रौ बोलबालौ हौ। कीं रहसवादी मतां वाला लोगां नै घोखौ देय'र आपरै स्वारथ री सिद्धी करण में लाग्या रैवता हा। कींअेक भैरव बण'र जनता नै अणूंतौ इज दुख कष्ट दिया करता हा। वरतमान पोकरण मांय वां दिनां 'बालिनाथ' कै 'बालकनाथ' नाम रै अेक नाथ-योगी रौ आसण हौ। रामदेव इणां नै इज आपरा सतगुरु बणाया। धारमिक दीठ सूं नाथपंथ दूजै पंथां री बजाय बेसी उदार अर सन्मारग माथै चालण बालौ पंथ मान्यौ जावतौ हौ। आखै देश मांय इण पंथ री मान्यता ही। गुरु रै उपदेश मुजब रामदेव अछूतोद्धार में लागिया अर कोढी, खज, आंधा, पांगला रोगियां री सेवा करण रौ भार आपरै कंधा माथै उठायौ। तत्कालीन समाज मांय अछूतां री हालत ई बड़ी दयनीय ही। उणां नै आपरै आसरौ देवणियां री किरपा माथै निरभर रैवणौ पड़तौ हौ। रामदेव पैल परथम अेक मेघवाल जात री लड़की 'डालीबाई' नै तत्कालीन सिद्ध परम्परावां मुजब 'महामुद्रा' रै पूर में स्वीकार कर'र आपरी सहयोगिणी बणायौ। छुआछूत नै नीं मानियां वां नै आपरै सगै-संबंयिां रै कोप रो सिकार बणणौ पड्यौ। पण बाबा रामदेव इणरी परवा नीं करी अर मेघवालां नै लेय'र भजन-कीरतन करण लागिया। किणी कारणां सूं धरम-भिस्ट या समाज बारै करियोड़ै़ लोगां नै समाज मांय पाछौ सनमान दिरवावण सारू रामदेव अेक संत मत री थरपणा ई करी। इण मत मांय बिना भेद-भाव रै कोई ई सगस सामल हुय सकतौ हौ। इण धरम मांय दीक्षित सगस नै हाथ मांय 'कामड़ी' (बैंत) राखणी पड़ती ही, सो औ पंथ 'कामड़िया पंथ' रे नाम सूं चावौ हुयौ। आजकल औ पंथ अेक उपजाति रौ रूप (कामड़िया) धारण कर लियौ है। अै लोग आपरै सिर माथे भगवा रंग रौ फेंटौ-पगड़ी धारण करै अर बाबा रामदेव रौ जुम्मौ-जागरण देवै। इण पंंथ मांय धरम रे प्रचलित दस लक्षणां नै मान्यता मिलण सूं इणनै 'दसा धरम' ई कैयौ जावै। पोकरण सूं पूरब दिस कानी कोई तीनैक किलोमीटर री दूस्री माथै अेक ड़ी माथै भैरव री गुफा आई थकी है। औ भेरव (भैरव रौ उपासक) अणूंतौ ई करूर हौ। आपरै इष्ट नै प्रसन्न करण सारू औ मिनखां री बलि दिया करतौ हौ। नतीजन लोग डर परा'र पोकरण छोड दियौ। बालिनाथ रै अलावा दूजौ कोई सगस उण स्थान माथै रैवण री हिम्मत नीं कर सकै हौ। बालिनाथ खुद ई इण भैरव रै उत्पातां सूं दुखी हा। रामदेव नै जद पतौ चालियौ तौ वै इण समस्या सूं निपटण सारू कमर कसी। ऐ आपरै पराक्रम सूं भैरव नै परास्त कर्यौ। परास्त भैरव गिडगिडाय'र रामदेव सूं आपरै प्राणां री भीख मांगी। रामदवे पोकरण रै आखती-पाखती रौ आगोर उणरै विचरण सारू सुरक्षित कर दियौ अर जद तांई जीवतौ रैवै, तद तांई पोकरण रै शासन कानी सूं उणरै भरण-पोखण रौ वचन ई दियौ। इणरै बाद भैरव करूर करमां रौ परित्याक कर'र अेक साधु रौ जीवण बीतावण लागियौ। भैरव रौ आतंक खतम हुयां पुराणा लोग पाछा आय-आय'र बसण लागिया। सो पोकरण रौ उजाड़ इलाकौ भरी-पूरी बस्ती बणग्यौ अर लोग सुख सूं जीवण बितावण लाग्या।
इण भांत बाबा रामदेव रै जन-हितकारी कामां अर भैरव जैैड़ै क्रूर करम वालै सगस नै सन्मारग माथै लेय आवण रै परिणामस्वरूप लोगां इणां नै अेक चमत्कारी पुरस (सिद्ध) रै रूप में मान्यता दीवी अर हजारूं लोग इणां रा भगत बणग्या। इत्तौ ई नीं, बाबा रामदेव रा उपासक इणां नै भगवान विष्णु रै दसवैं अवतार 'कल्कि' रै रूप मांय ई मानण लागिया। बाबा रामदेव नै 'निकलंक देव' रौ विरुद जीवण-काल मांय ई मिलग्यौ हौ। भाटी उगमसी, मेघवाल धारू, राठौ़ड शासक मल्लिनाथ अर उणां री जोड़ायत रूपांदे, जैसल ्र उणरी जोड़ायता तोलांदे, डाली बाई इत्याद उणां रै खास उपासकां मांय हा। सुचावा सांखला हड़बू बाबा रामदेव रै कैयां अस्तर-सस्तर त्याग'र अेक साधु रौ सो जीवण बितावण लागिया हा। अै ई बालिनाथ सूं दीक्षा लीवी ही। बाबा रामदेव रा अेक काका 'धनरिख' (धनरूप) नामर रा हा। जद अजमल री तुंवरावाटी रौ गाम नरेणा छोड़'र मारवाड कानी आयग्या हा, तद धनरिख जी उठै इज रैयग्या हा। अै ई अेक चमत्कारी महापुरुष रै रूप में चावा हा। अै आपरै बुढा़पै मांय बाबा रामदेव नै आपरै कनै बुलाय लिया हा। उठै गयां रै बाद बाबा रामदेव री प्रसिद्ध दिन दूणी रात चौगुणी फैलण लागी। चित्तौड़ रै महाराणा कुंभा माथेै जद गुजरातियां हमलौ करियौ, तद उपासकां जिणां रै गला मांय बाबा रामदेव रा फूल हा, महाराणा कुंभा रौ साथ दियौ। नतीजन गुजराती भागग्या। इण प्रसंग नै याद राखण सारू जीतियां रै बाद महाराणा कुंभा 'निकलंक देव मिंदर' रौ निरमाण करायौ हौ, जिण मांय घुड़सवार सगस (बाबा रामदेव) री मूरती थापना करी ही। औ मिंदर आज ई मौजूद है। पौराणिक कथानक मुजब सूरज (महाराणा कुंभा) नै जद कलिंग राक्षस (गुजराती) आपरै प्रभाव सूं आवृत्त कर लैवैला, त भगवान कल्कि (निकलंक) रूप धारण कर'र उणरौ उद्धारकरैला। ऊपरदिरीजी महाराणा कुंभा री घटना रौपाणिक कथानक सूं मेल खावै। सो बाबा रामदेव री पूरबी छेत्रां मांय ई प्रसिद्धि हुयगी अर वै निकलंक देव रै साथै-साथै 'पिछमाधिपति', 'पिछमाधीस', 'पिछम धरा रा पातसाह', 'पिछमी धणी' इत्याद विरूदां नै धारण करण लागिया। काकै धनरिख रै समाधि लियां रै बाद बाबा रामदेव पाछा आपरै इलाकै मांय आयग्या। पोकरण आयां रै बाद उमरकोट रै सोढ़ा दलैसिंघजी रू पुत्री नेतलदे रै साथै इणां रौ ब्याव हुयग्यौ। नेतलदे री कोख सूं इणां नै देवराज नाम रे पुत्र री प्राप्ति हुई।
खेड़ रा राठौ़ड शासक रावल मल्लिनाथ नै बाबा रामदेव आपरा मूंडाबोला भाई मानता हा। पोकरण रौ इलाकौ मल्लिनाथ सूंआपरै रैवास सारू मांग लियौ हौ। तुंवर परिवार अठै आराम सूं रैय रैयौ हौ। पण बाबा रामदेव री गैरहाजरी में इणां रा बड़ा भाई वीरमदेव आपरी पुत्री रौ संबंध मल्लिनाथ रै पोतै (जगमाल रै बैटै) हम्मीर रै साथै कर दियौ। इणसूं चिड़'र बाबा रामदेव पोकरण छोड़'र रामदेवरा' रीनींव राखी। औ स्थान पोकरण सूं पूरबोत्तर मांय कोई 4 किलोमीटर री दूरी माथै है। पाणी री कमी मिटावण सारू अै गाम सूं पिच्छम कानी अेक तलाव रौ निरमाम करायौ, जिकौ आजकल 'राम सरोवर' रै नाम सूं जाणीजै। इणी तालाब री पाज माथै फगत तेतीस बरस री उमर में ई कीरत रा कमठाण बण'र रामसापीर वि. सं. १४४२ री भादवा सुदी ग्यारस रै दिन जीवित समाधि लीवी ही। ख्यातां मांय उल्लेख मिलै के इणी स्थान माथै बाबा रामदेव रै समाधि लियां रै आठ दिन बाद सांखला हड़बू ई समाधि लीवी ही। ख्यातां मांय उल्लेख है के पैला राव जोधा रौ विचार मसूरिया नाम रै परबत माथै किलौ बणावण रौ हौ, पण अठै आखती-पाखती पाणी री कमी हुवण सूं औ विचार छोडणौ पड़ियौ। उणी बगत उण परबत माथै रैवण वालौ अेक साधु इणां नेै पचेटिया नाम रै परबत माथै किलौ बणावण री सलाह दीवी। आ बात राव जोधा नै दाय आयगी। कैवै के इणरी अेवज में वौ साधु राव जोधा सूं दो प्रार्थनावां करी। अेक तौ आ के रामदेवजी रै दरसण सारू रूणेचा जावण वाला जिका जातरू अठीनै सूं निकलै, पैला उणरै आसरम मसूरिया आवै अर दूजी आ के राज री कानी सूं साल में दो बार उणरै आसरम मसूरिया आवे अर दूजी आ के राज री कानी सूं साल में दो बार उणरै आसरम मांय भेंट भेजी जावै। राव जोधा उणां री दोनूं प्रार्थनावां स्वीकारली। इण उल्लेख सूं सिद्ध हुय जावै के राव जोधा रै किलै री नींव राखण (जेठ सुदी ११, शनिवार, वि. सं. १५१५) सूंपैला बाबा रामदेव समाधि लेय चुकिया हा अर उणां री याद में जातरू दरसण नै आवण लागया हा। उल्लेखजोग है के मसूरिया परबत माथै बाबा रामदेव रा गुरु बालिनाथजी समाधि लीवी ही। औ साधु बाबा रामदेव रौ ई अनुयायी हुवैला अर आपरै गुरु री सेवा मांय रैवतौ हुवैला। भाटी हरजी बाबा रामदेव रा अनन्य भगत अर गायक हुया। भाटी हरजी री रच्योड़ी वांणियां रै संबंध में औ दूहौ लोक मांय चावौ है- हरजी गरजी नाम रा, पासे किया पंपाल। लाख सबद लेखै चढ्या, ग्रंथां भर्या भंडार।। रामदेवजी आपरै उपदेसां अर वैवार सूंं हिंदूवां अर मुसलमानां रै विचालै साम्प्रदायिक अेकता रा घणा लूंठा जतन किया। उणरौ दोनूंसंप्रदायां माथै असर पड़ियौ। वां में अेकता रौ वातावरण बण्यौ अर मुसलमन ई रामदेवजी नै 'पीर' मान'र पूजण लाग्या। आज दिन तांई दोन्यूं धर्मावलम्बी वां नै घणी सरा सूं पूजै। 'बाबौ रामदेव' अर 'रामसापीर' अै दोनूं नाम हिंदू मुस्लिम अेकता रा प्रतीक है। अल्ला आदम अलख तूं, राम रहीम करीम। गोसांई गोरक्ख तूं, नाम तेरा तसलीम।। बाबा रामदेव बाबत औ दूहौ अेक भगत कवि खैमौ वि. सं. १७२९ मैं कैयौ। वां जगत में लोकदेवता, देवपीर अर परमेसर रै रूप में प्रतिष्ठा पाई। घर ऊजल घवली धजा, निरमल ऊजल नीर। राजा ऊजल रामदे, परचा ऊजल पीर।। राम कहूं क रामदे, हीरा कहूं क लाल। ज्यांनै मिलिया रामदे, वां नै किया निहाल।।