नन्दीनागरी एगो ब्राह्मिक लिपि हई जे नागरी लिपि से लेल गेलई हे जे 7वां शताब्दी ई. में सामने अईलई हल। ई लिपि आउ एकर रूप के प्रयोग मध्य दक्कन क्षेत्र आउ दक्षिण भारत में कईल जा हलई, आउ नंदीनगरी में संस्कृत पांडुलिपि सबके बहुतायत पाइल गेलई हे, लेकिन ऊ अलिखित हई। हिंदू धर्म के द्वैत वेदांत स्कूल के माधवाचार्य के कुछ खोजी गई पांडुलिपि नंदीनगरी लिपि में हई।
नामकरण
नागरी शब्द नगर से अइलई हे।
हैदराबाद के नंदी नगर से 212 किलोमीटर दूर स्थित महबूबाबाद में काकतीय काल के नंदीनगरी शिलालेख पाएल गेलई हे।
"नंदी" शब्द के पहिला भाग अपन सन्दर्भ में अस्पष्ट हई। एकर अर्थ "पवित्र" या "शुभ" हो सकऽ हई। नंदी भगवान शिव के वृषभवाहन (बैल वाहन) के नाम हई, जे एगो पूजनीय प्रतीक हई, आउ ई नाम के स्रोत हो सकऽ हई।
देवनागरी से तुलना
नंदीनागरी आऊ देवनागरी लिपि सब बहुत करीब हई आऊ ऊ दूनो में ढेर समानता हई, लेकिन ऊ दूनो में व्यवस्थित अंतर भी हई। नंदीनागरी देवनागरी से अपन स्वर सब के आकार में अधिक तथा व्यंजन सब के आकार में कम भिन्न हई। एकरा में प्रत्येक अच्छर के शीर्ष पर एगो ओवरलाइन होबऽ हई, लेकिन ई उनकर पूरा शब्द में एक लंबा, जुड़ल, क्षैतिज रेखा (शिरोरेखा) के रूप में नञ् जोड़ई। ई प्रकार नंदीनागरी देवनागरी के सहोदर लिपि है, लेकिन ई कोइ मामूली भिन्नता नञ् हई।