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अर्जन देव या गुरु अर्जन देव (१५ अप्रेल १५६३ – ३० मई १६०६[1]) सिखके ५मा गुरु हलथिन । गुरु अर्जन देव जी शहीदके सरताज एवं शान्तिपुञ्ज हथिन । आध्यात्मिक जगत मे गुरु जी के सर्वोच्च स्थान प्राप्त है । उनका ब्रह्मज्ञानियो कहल जा है । गुरुग्रन्थ साहिबमे तीस रागमे गुरु जी के वाणी सङ्कलित है । गणनाके दृष्टिसे श्री गुरु ग्रन्थ साहिबमे सर्वाधिक वाणी पञ्चम गुरुए के है । ग्रन्थ साहिबके सम्पादन गुरु अर्जुन देव जी भाई गुरदासके सहायता से १६०४ मे कैलथिन । ग्रन्थ साहिब के सम्पादन कला अद्वितीय है, जेकरामे गुरु जी के विद्वत्ता झलकऽ है । ऊ रागके आधार पर ग्रन्थ साहिबमे सङ्कलित वाणीके जे वर्गीकरण कैलथिन हे, ओकर मिसाल मध्यकालीन धार्मिक ग्रन्थमे दुर्लभ है । ई उनकर सूझेबूझके प्रमाण है कि ग्रन्थ साहिब मे ३६ महान् वाणीकारके वाणी बिन कौनो भेदभाव के सङ्कलित होलै ।

गुरु अर्जन देवके ५मा गुरु बनेके घोषणा

सन्दर्भ

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  1. "एन्सिक्लोपीडिया ब्रिटेनिका". मूलसे 22 अक्तूबर 2017 के पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 मई 2017.