बीना कण्डारी (IPA: /bi:nəh kəɳɖə:ɾi/) गढ़वाळ स्यी प्रभावी कल्पना स्यी कबितेरिणी छन।
सुरुआती जिओन (Early Life)
editबीना कण्डारी स्यु जलम सन 1967 उंदु पौड़ी गढ़वाळ स्यु धुमाकोट इलाका उंदु कसाणा गाम उंदु होए।
बिरिती (Career)
editबीना कण्डारी अपड़ी कबिता कथगा हि पतुड़ौं उन्द छपौणी छन। बीना कण्डारी औल इण्डिआ रेडिओ अर दूरदरसण उन्द बी अपड़ा गढ़वळी छन्द दीन्हि।
काब्य अन्दाज अर स्पषळता (Poetry Style & specialty)
editबीना कण्डारी भनी भनी स्या बिषय परजोग करिदी जन बल किसानन स्यी पीड़ा, कज्याणन स्यी पीड़ा, बुड्यान स्यी पीड़ा, कुदरत, डाण्डौं चरितरस, परशासण, देसवळ्याण, अणकारिजी अर नाती बिषय फुण्ड। दगड़ म सो तेज बैङ्गै अब इस्तेमाल करिदि। फटकताळेर सो स्यु सुणेणु, दिखेणु, सुआद अर गन्ध, छुएणु, भित्तरी भौओं, भगदेरी, इस्थिर, लङ्कारी भाखा सणि इस्तेमाल ते सरहन्दिनी।
कबिता स्यु नमूना
editबगत हि त छ !
editबगत हि त छ ! जूनि मा कूड़ी बणाणा को पुटगुंद हि मनखी कि जाति खुज्याणा को
बगत हि त छ ! पांच सौ कु नोट द्वी किलो कु थैला बांदरों का खुचिलों कुकरों का छौला
बगत हि त छ ! ज्वानो की मतिंग /दानों की भतिंग घास -पाणी -सब्या धाणी अर ग्वीलों लतिग
बगत हि त छ ! भद्यळा , चमचों की बरात नौकर्यूं म जात पात बिजली विभागम अंध्यरि रात अर स्कूलों मा दाळ भात बगत हि त छ !
कपाळ थमणू ब्रह्म (क्लोनिंग का वजै से ) नाक बुजणु महेश (प्रदुषण का वजै से ) अर चमच्चों न घटाघट दूध पीणू गणेश बगत हि त छ !