बाख (संस्कृत: वाक्य, प्राकृत: वाक्क) द्वी क्य द्वी चुले बंडी सबद क्य पद मिलै बणुदु। जन बल "पांच" "अादिमि" "उखरेन" तीन सबद छीं। अर "पांच अादिमि उखरेन" यऽक बाख।