अहमदनगर महाराष्ट्र केरऽ एक शहर छेकै । अहमदनगर महाराष्ट्र केरऽ सबसें बड़ऽ जिला छेकै।
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विभाग | महाराष्ट्र राज्य |
देश | भारत |
प्रदेश | महाराष्ट्र |
जिला | अहमदनगर जिला |
भाषा | मराठी, हिन्दी और अंग्रेज़ी एवं अन्य भारतीय भाषायें |
समय क्षेत्र | जी एम टी+५:३० |
महत्व | महाराष्ट्र का सबसे बडा जिला |
जन्संख्या -कुल |
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साक्षरता दर |
???%[२] |
क्षेत्रफल | 1??? km2 |
पिन | 414 xxx |
इतिहासEdit
अहमदनगर निज़ामशाही सुल्तानों की राजधानी थी, जिन्होंने 1490 ई. में दक्खिन में बहमनी सल्तनत की एक नयी शाखा की स्थापना की। अहमदनगर की स्थापना इस वंश के पहले सुल्तान अहमद निज़ामशाह ने की। अहमदनगर का इतिहास, वहाँ की शहज़ादी और बीजापुर के अली आदिलशाह की विधवा चाँदबीबी द्वारा 1595-1596 में अकबर के पुत्र युवराज मुराद का वीरतापूर्ण प्रतिरोध तथा मलिक अम्बर की सैनिक एवं प्रशासनिक कुशलता के कारण अधिक रोचक एवं महत्वपूर्ण है। अकबर ने जब इस पर हमला किया तो, चाँदबीबी ने उसकी सेनाओं का डट कर मुकाबला किया, परन्तु अंत में अकबर की विजय हुई। 1637 ई. में बादशाह शाहजहाँ ने अहमदनगर को मुग़ल साम्राज्य में मिला लिया और उसके बाद इस नगर का महत्त्व घट गया। यह अब भी एक बड़ा नगर है और इसी नाम के ज़िले का मुख्यालय है।
मलिक अम्बर केरऽ नीतिEdit
अहमदनगर की स्वतंत्रता बनाये रखने में मलिक अम्बर का योगदान था। यह अबीसीनियाई दास था, जो बाद में अपनी योग्यता के बल पर अहमदनगर का प्रमुख वज़ीर बना। इसने युद्ध की छापामार पद्धति को अपनाया तथा भूमि व्यवस्था में ठेकेदारी प्रथा को समाप्त कर रैयतवाड़ी व्यवस्था (जब्त प्रणाली) को लागू किया।
निज़ामशाही वंश के शासक बुरहान निज़ामशाह द्वितीय के शासन काल का प्रसिद्ध लेखक 'शाह ताहिर' हुआ। वह फ़ारसी भाषा का उत्कृष्ट विद्वान था। उसने 'फ़तहनामा', 'इन्सा-ए-ताहिर', 'तोहफा-ए-शाही' एवं 'रिशाल-ए-पाल' नामक ग्रंथो की रचना की। अहमदनगर के निज़ामशाही राज्य में 'सैय्यद अली तबतबाई' सर्वश्रेष्ठ इतिहासकार हुआ। उसने ‘बुरहान-ए-मासीर’ नाम से निज़ामशाही वंश के सुल्तानो का इतिहास लिखा। इस पुस्तक को 'तबतबाई' ने तत्कालीन सुल्तान 'बुरहान निजामशाह द्वितीय' को समर्पित किया।
कृषि आरू खनिजEdit
आसपास के क्षेत्रों का मुख्य पेशा कृषि है, लेकिन वर्षा की स्थिति अत्यन्त अविश्वसनीय होने के कारण खाद्यान्न की कमी एक चिरस्थायी समस्या है। बाजरा, गेहूँ और कपास इस क्षेत्र की प्रमुख शुष्क फ़सलें हैं, जबकि गन्ना सबसे महत्त्वपूर्ण सिचिंत फ़सल है। उद्योगों में चीनी प्रसंस्करण तथा कपास ओटाई व गांठ बनाने का काम प्रमुख है।
अर्थतंत्रEdit
यहाँ मुख्यतः सूती वस्त्र और चर्म-परिशोधन का उद्योग होता है। यह एक व्यावसायिक केन्द्र भी है। अहमदनगर जिला ये प्रमुख व्यावसायिक हैं. जिले मे सबसे जादा sugar कारखाने है. अहमदनगर मे सबसे पेहेला sugar कारखाना बना. यहा कायनेटीक कम्पनी जेसे व्यव्यावसायिक हैं.शहर में नागापुर एक बडा औद्योगिक क्ष्रेत्र हैं. शहर में (VRDE) जेसे केंद्र स्थापित क्ष्रेत्र है.
संस्थाEdit
अहमदनगर की शिक्षा संस्थाओं में विद्यार्थी सभी भागो से आते हैं। यहां कई सरकारी एवं प्राइवेट सन्स्थान हैं जो कला, विज्ञान, प्रोद्योगिकी, आयुरविग्यान, कानून और मैनेजमेंट शिक्षा संस्थायें हैं यहा 1947 बना अहमदनगर काँलेज है. यहा कही काँलेज है. विरद घाट में मेडीकल काँलेज है.यहां हजारों लडके लडकीयाँ अपना(MBBS)की पढाई पुरी करते हैं. विद्यालय
- दादा चौधरी विद्यालय
सीताराम सारडा
दर्शनीय स्थलEdit
अहमदनगर के प्रमुख ऐतिहासिक स्थलों में मुग़ल महल, बाग़ व चांद बिबी का मकबरा व अहमद निज़ाम शाह का क़िला है, जहाँ 1940 में पंडित नेहरु नज़रबंद रहे। पर्यटकों के देखने के लिए यहां अनेक विरासतें हैं। अहमदनगर के अनेक क़िले, मंदिर आदि सैलानियों को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं।
- अहमदनगर किला
संत कवि महिपति महाराज, सोलाहवीं सदी के संत कवि जिन्होंने भारतीय संतों का पद्यमय परिचय संत लीलामृत, भक्ति विजय आदि ग्रंथों के द्वारा दिया है। उनका समाधि स्थल ताहराबाद, ता.राहूरी जि.अहमदनगर स्थित है। उनका कुलनाम कांबळे है जो कर्नाटक की सीमा से राहूरी आए थे। देशस्थ ऋवेदी ब्राह्मण जो कुलकर्णी का काम देखते थें। उनकी रचनाओं का अँग्रेजी अनुवाद राहूरी के ईसाई धर्मगुरु ने किया था जिसका प्रकाशन अमरिका में किया गया था।
जनसंख्याEdit
2001 की जनगणना के अनुसार इस शहर की जनसंख्या 3,07,455 है।
20011 की जनगणना के अनुसार इस शहर की जनसंख्या 3,50,905 है।
साहित्य/सन्दर्भEdit
- अहमदनगर का इतिहास (मराठी मे) - डॉ॰ सुरेश जोशी द्वारा