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अंगिका मुख्य रूप सं प्राचीन अंग यानि भारत केरॉ उत्तर-पूर्वी आरो बिहार, झारखंड, बंगाल, आसाम, उङीसा आरो नेपाल के तराई केरॉ क्षेत्र मं बोललॉ जाय वाला भासा छेकै । प्राचीन भासा कम्बोडिया, वियतनाम, मलेशिया आदि देशॉ मं भी प्राचीन समय सं बोललॉ जैतं रहलॉ छै। अंगिका भासा आर्य-भासा परिवार केरॉ सदस्य छेकै आरो भासाई तौर पऽ बांग्ला, असमिया, उड़िया आरो नेपाली, भासा सं ऐकरॉ बहुते निकट के संबंध छै। प्राचीन अंगिका के विकास के सुरूआती दौर कऽ प्राकृत आरो अपभ्रंश के विकास सं जोड़लॉ जाय छै । लगभग ५ सं ६ करोड़ लोग अंगिका कऽ मातृ-भासा के रुप मं प्रयोग करै छै । एकरॉ प्रयोगकर्ता भारत केरॉ विभिन्न हिस्सा सहित विश्व केरॉ ढेरी देसऽ मं फैललॉ छै। भारत केरॉ अंगिका क साहित्यिक भाषा के दर्जा प्राप्त छै। अंगिका साहित्य केरॉ आपनॉ समृद्ध इतिहास रहलॉ छै आरो आठमॉ शताब्दी के कवि सरह या सरहपा कऽ अंगिका साहित्य मं सबसं उंच्चॉ दर्जा प्राप्त छै। सरहपा कऽ हिन्दी आरू अंगिका के आदि कवि मानलॉ जाय छै। भारत सरकार द्वारा अंगिका के जल्द ही भारतीय संविधान केरॉ आठवीं अनुसूची मं भी शामिल करलॉ जैतै।[1]

भारतो-म अंगिका बोले वला हिस्सा

प्राचीन समय मं अंगिका भाषा,अंग लिपि मं लिखलॉ जाय रहै।[1] बादो-म कैथी लिपि-योम अंगिका लिखेलो जाय रहले, आजकल हेकरा लेली देवनागरी चले छे|

अंगिका लोकगीत: भगवती माय खोलो ने केवड़िया
अंगिका लोकगीत: निमिया के डारी

नामोत्पत्ति

भासाई उत्पत्ति आरो इतिहास

शैली सिनी

मानकीकरण

बोली सिनी

लिपि

अंगिका लेली इतिहास मँ अंग लिपि इस्तेमाल होवै छेलै। फेर हेकरा लेली कैथी काम ऐले। आजकल हेकरा लेली देवनागरी चली रहलौ छै।

शब्दावली

स्वरविज्ञान

स्वर

व्यंजन

विदेशी ध्वनियाँ

व्याकरण

जनसांख्यिकी

एकरो देखौ

बाहरी कड़ी

सन्दर्भ